पहली बार भारत में बायोफ्यूल से उड़ा विमान

 27 Aug 2018  1019
संवाददाता/in24 न्यूज़। पहली बार बायोफ्यूल से विमानउड़ाकर भारत ने एविएशन इंडस्ट्री में नया मुकाम हासिल कर लिया है। स्पाइजेट ने बॉम्बार्डियर क्यू400 से देहरादून-दिल्ली के बीच इस उड़ान का सफल परीक्षण किया। इसके साथ ही भारत उन खास देशों की श्रेणी में शामिल हो गया, जिन्होंने बायोफ्यूल से किसी प्लेन को उड़ाया है। कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका जैसे विकसित देश ऐसा कर चुके हैं, लेकिन विकासशील देशों में यह उपलब्धि हासिल करने वाला भारत पहला देश बन गया है। बता दें कि इस साल की शुरुआत में ही दुनिया की पहली बायोफ्यूल फ्लाइट ने लॉस एंजेलिस से मेलबर्न के लिए उड़ान भरी थी। स्पाइसजेट ने कहा कि उसने बोयोफ्यूल से उड़ान का सफलता से परिचालन पूरा किया। इस उड़ान के लिए इस्तेमाल ईंधन 75 प्रतिशत एविएशन टर्बाइन फ्यूल (एटीएफ) और 25 प्रतिशत बायोफ्यूल का मिश्रण था। एयरलाइन में बयान में कहा कि एटीएफ की तुलना में बायोफ्यूल इस्तेमाल का फायदा यह है कि इससे कॉर्बन उत्सर्जन घटता है और साथ ही ईंधन दक्षता भी बढ़ती है। स्पाइसजेट ने कहा कि जट्रोफा फसल से बने इस फ्यूल का विकास सीएसआईआर-भारतीय पेट्रोलियम संस्थान, देहरादून ने किया है। परीक्षण उड़ान पर करीब 20 लोग सवार थे। इनमें नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) और स्पाइसजेट के अधिकारी शामिल रहे। एयरलाइन के एक अधिकारी ने बताया कि यह उड़ान करीब 25 मिनट की थी। स्पाइसजेट के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक अजय सिंह ने कहा कि जैव जेट ईंधन की लागत कम बैठती है और साथ ही यह उल्लेखनीय रूप से कॉर्बन उत्सर्जन घटाने में मदद करता है। उन्होंने कहा, 'इसमें हमारी परंपरागत विमान ईंधन पर प्रत्येक उड़ान में निर्भरता में करीब 50 प्रतिशत की कमी लाई जा सकती है। इससे किराये में भी कमी आएगी। जैव जेट ईंधन को अमेरिकी मानक परीक्षण प्रणाली (एएसटीएम) से मान्यता है और यह विमान में प्रैट ऐंड व्हिटनी और बॉम्बार्डियर के वाणिज्यिक एप्लिकेशन के मानदंडों को पूरा करता है। बायोफ्यूल सब्जी के तेलों, रिसाइकल ग्रीस, काई, जानवरों के फैट आदि से बनता है। जीवाश्म ईंधन की जगह इसका इस्तेमाल किया जा सकता है। दरअसल, एयरलाइंस इंटरनैशनल एयर ट्रांसपोर्ट असोसिएशन नाम की ग्लोबल असोसिएशन ने लक्ष्य रखा है कि उनकी इंडस्ट्री से पैदा होने वाले कॉर्बन को 2050 तक 50 प्रतिशत कम किया जाए। एक अनुमान के मुताबिक, बायोफ्यूल के इस्तेमाल से एविएशन क्षेत्र में उत्सर्जित होनेवाले कार्बन को 80 प्रतिशत तक कम किया जा सकता है। भारत तेल आयात पर अपनी निर्भरता कम करना चाहता है। पीएम मोदी ने भी हाल मे 'नैशनल पॉलिसी फॉर बायोफ्यूल 2018' जारी की थी। इसमें आनेवाले 4 सालों में एथेनॉल के प्रॉडक्शन को 3 गुना बढ़ाने का लक्ष्य है। अगर ऐसा होता है तो तेल आयात के खर्च में 12 हजार करोड़ रुपये तक बचाए जा सकते हैं।