लॉकडाउन ने कर दी खादी की बर्बादी

 06 Jun 2020  579

संवाददाता/in24 न्यूज़.
खाड़ी से इस देश का संबंध बहुत पुराना है. मगर कोरोना वायरस के चलते खादी का कारोबार भी बुरी तरह से पिट गया है जिससे कारोबारी चिंतित नजर आ रहे हैं। कारोबारियों का कहना है कि गर्मी,  शादी व त्यौहार सभी सीजन खत्म हो गए, लेकिन लॉकडाउन खुलने के बाद जिस तरह से ग्राहकों की संख्या बढ़ रही है उससे लगता है कि जल्दी ही कारोबार पटरी पर आ जायेगा। देश में खादी कपड़ा विरासत का प्रतीक माना जाता है। भारत की आजादी की लड़ाई में पूरे देश को संगठित करने में महात्मा गांधी, खादी और चरखे का बहुत बड़ा योगदान रहा है। गांधी जी ने उपनिवेशवाद और अन्याय के खिलाफ लड़ाई के दौरान चरखे का उपयोग किया। इसका मकसद आत्मनिर्भरता और गरीबी के खिलाफ लड़ाई था। गाजियाबाद व एनसीआर में देखा तो जाए खादी के कपड़े का स्वरूप भी पूरी तरह से बदल गया। युवा पीढ़ी से लेकर बुजर्गों तक में खादी के बढ़ते प्रचलन के चलते खादी के कारोबार को चरम पर पहुंचा दिया था लेकिन कोरोना महामारी के कारण लगे लॉकडाउन ने कड़ी कारोबार को जबरदस्त झटका दिया है जिसके चलते खादी कारोबार से जुड़े कारोबारियों के माथे पर चिंता की लकीरें आसानी से देखी जा सकती हैं। लॉकडाउन के बाद ग्राहकों के रिस्पांस से उनके निराशा के बदल छंटने लगे हैं। दिल्ली से सटे गाजियाबाद में जिस तरह से फैशन में खादी के वस्त्र आये और यहां यह कारोबार करोड़ों में पहुंच गया। बल्कि संभावना को देखते हुए पिछले चंद सालों के दौरान ही तेलीवाली गली में तो पूरी खादी मार्किट ही विकसित हो गई है। गाजियाबाद की यह मार्किट दिल्ली एनसीआर की प्रमुख मार्किट के रूप में बदल गई, आज यहां ना केवल गाजियाबाद बल्कि गौतमबुद्धनगर, हापुड़, मेरठ, बागपत आदि जिलों के लोग भी यहां से खादी के कपड़े खरीदने आते हैं। ख़ासकर राजनीतिज्ञों की तो यह सबसे पसंदीदा मार्किट हैं और भाजपा, कांग्रेस से लेकर अन्य राजनितिक दलों के नेता यहां खादी के कपड़े खरीदते हैं । लॉकडाउन के दौरान यह मार्किट भी बंद रही और कारोबार पूरी तरह से चौपट हो गया। शहर की सबसे पुरानी दुकान प्रकाश टेक्सटाइल्स के संचालक वेद प्रकाश गर्ग कहते हैं कि लॉकडाउन का असर काफ़ी ज्यादा इस कारोबार पर पड़े या यूं भी कह सकते हैं कि पूरा सीजन ही पिट गया है। लॉकडाउन 25 मार्च से लागू हुआ था, लगभग इसी समय से गर्मी का सीजन शरू हो जाता है। साथ ही शादी का सीजन भी शुरू हो जाता है। इस बीच ईद का पर्व भी आ गया और मार्किट पूरी तरह से बंद रहा जिस कारण खादी का कारोबार का सीजन पूरी तरह से पिट गया।