एटीएम की कतार में खड़े बुजुर्ग सेवानिवृत शिक्षक की मौत !

 02 Jan 2017  1737
संजय मिश्रा / in24 न्यूज़
मोदी सरकार के नोट बंदी फैसले के बाद देश के कोई हिस्सो से अलग-अलग खबरे आयी कहीं पीएम मोदी की तारीफ में कसीदे पढ़े गए तो कहीं नोट की कमी के चलते परेशान लोगों ने पीएम मोदी पर अपनी भड़ास निकाली । कुछ  टीवी न्यूज़ चैनलों ने अपने तरीके से खबरे बनाई तो कुछ ने ग्राउंड जीरो से नोट बंदी की खबर दिखाने का दावा किया। इसी कड़ी में महाराष्ट्र के बीड जिले से एक चौकाने वाली खबर सामने आ रही है जहां अंबाजोगाई शहर में स्थित स्टेट बैंक ऑफ़ हैदराबाद के एटीम सेंटर के बाहर कतार में खड़े एक सेवानिवृत्ति शिक्षक की दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गयी।
मृतक शिक्षक का नाम नामदेव तरकसे बताया जा रहा है जो अंबाजोगाई के केँद्रेवाडी गांव के रहने वाले थे और एटीम मशीन से रुपये निकालने के लिए एटीएम सेंटर के बाहर वो कतार में खड़े थे। दिल का दौरा पड़ते ही सेवानिवृत शिक्षक नामदेव तरकसे जमीन पर गिर पड़े जिसके बाद एक बुजुर्ग महिला ने उन्हें फौरन सहारा दिया लेकिन तब तक उनकी मौत हो चुकी थी।
इसके बाद बैंक की तरफ से जो बयान सामने आया वो भी हैरान कर देने वाला था।  बैंक की तरफ से कहा गया कि बुजुर्ग नामदेव तरकसे कतार में नहीं खड़े थे बल्कि उन्हें बैठने के लिए कुर्सी दी गयी थी।  एटीएम सेंटर के बाहर लगी सीसीटीवी कैमरे में जो तस्वीरें कैद हुई हैं उसमे साफ़ तौर से नजर आ रहा है कि नामदेव तरकसे एटीएम से रुपये निकालने के लिए कतार में खड़े थे। बैंक अधिकारी की ओर से ये भी दावा किया गया कि वे कतारों में बुजुर्ग को नहीं खड़े होने देते हैं बल्कि उन्हें बैठने के लिए कुर्सी दी जाती है और बैंक के सिक्योरिटी गार्ड रुपये लाकर बुजुर्ग को स्वयं देते हैं इसी तरह बुजुर्ग नामदेव तरकसे को भी बैंक के सिक्योरिटी गार्ड ने रुपये लाकर दिया था। लेकिन यदि बैंक के सिक्योरिटी गार्ड ने नामदेव तरकसे को रूपया लाकर दिया होता तो वे कतार में क्यों खड़े रहते ?
खैर, अपनी गलतियों को हर कोई छुपाना चाहता है लेकिन हकीकत यही है कि पीएम मोदी के नोट बंदी के फैसले के बाद यदि आम जनता को तकलीफ हुई है तो उसके लिए सबसे ज्यादा कोई जिम्मेदार है तो वो है बैंक अधिकारी और प्रबंधन। जिसने आमजनता की मुश्किलों को कभी समझने की कोशिश ही नहीं की। ऐसे में सवाल है केंद्र सरकार से, सवाल है देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कि गरीबों की गरीबी यदि दूर करने के लिए आपने नोट बंदी का फैसला लिया तो गरीबो की जान इतनी सस्ती कैसे हो गयी ?