नाक के कैंसर से मिली निजात, मुनीर खान को मसीहा मानते हैं अबु बकर अब्दुल्लाह !

 03 Feb 2017  4810

संजय मिश्रा / in24 न्यूज़

भारत में प्रति वर्ष 10 लाख लोग कैंसर से ग्रसित होते हैं। कैंसर को एक नाइलाज बीमारी के रूप में जाना जाता है। मुंबई के एंटॉप हिल इलाके में रहने वाले अबु बकर अब्दुल्लाह शेख की नाक में कैंसर होने की वजह से उनकी जिंदगी नरक हो गयी थी जिसकी वजह से उनका खान-पान भी छूट गया था यहां तक कि, उनकी आँखों की रौशनी भी क्षीण हो चुकी थी जिससे उनको कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था। अबु बकर शेख ने जब पहली बार कैंसर का ऑपरेशन करवाया तो उन्हें कुछ हद तक राहत जरूर मिली लेकिन कुछ दिनों के बाद एक बार फिर से उनकी नाक में कैंसर उभर आया जो कम होने का नाम ही नहीं ले रहा था। वह शरीर में लगतार फैलता ही जा रहा था, जिसके बाद उनका एक बार फिर से ऑपरेशन किया गया। कुल मिलाकर तीन बार ऑपरेशन करवाने के बावजूद भी अब्दुल्लाह को राहत नहीं मिल पा रही थी। इस तरह अब्दुल्लाह की जिंदगी नरक से भी बदतर हो चुकी थी।
इस बार तो स्थिति ऐसी हो गयी थी कि मुंबई के तमाम प्रतिष्ठित अस्पतालों ने उनका ऑपरेशन करने से साफ़ इंकार कर दिया। जिन अस्पतालों ने अब्दुल्लाह के कैंसर का ऑपरेशन करने से मना किया था उनमे नायर, केईएम, भाटिया जैसे अस्पताल शामिल हैं। अबु बकर अब्दुल्लाह की यदि माने तो डॉक्टरों ने उनसे यह कहते हुए अपने हाथ खड़े कर दिए कि यदि चौथी बार उनका ऑपरेशन किया गया तो उनकी मौत हो जाएगी जिससे अब्दुल्लाह बुरी तरह से टूट गए। ऐसे में उन्हें किसी ने साइंटिस्ट मुनीर खान के पास जाने की सलाह दी। अबु बकर की स्थिति ऐसी थी कि "मरता, क्या नहीं करता। " साइंटिस्ट मुनीर खान के पास पहुंचने पर मायूस अब्दुल्लाह के चेहरे पर पहली बार मुस्कान देखने को मिली।
 बॉडी रिवाइवल की चार शीशी अब तक वे साइंटिस्ट मुनीर खान से ले चुके हैं और उनका स्वास्थ्य अब बिलकुल ठीक है। जहां उनकी नाक में कैंसर था और आंख से कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था, वहीं अब नाक का कैंसर मांस बनकर उनकी नाक से निकल गया और आंख की रौशनी भी उनकी पूरी तरह से साफ़ हो चुकी है। अबु बकर अब्दुल्लाह साइंटिस्ट मुनीर खान को मसीहा मानते हैं और माने भी क्यों नहीं, चूंकि जिस व्यक्ति की दुनिया ही पूरी तरह से लुट चुकी हो, ऐसे व्यक्ति को यदि कोई नवजीवन दे दे तो वाकई वो मसीहा ही है। अबु बकर अब्दुल्लाह के जिस परिवार पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा था, आज उस परिवार की खुशियां लौट आयी है। कहते हैं कि मारने वाले से बचाने वाला बड़ा होता है और साइंटिस्ट मुनीर खान मौत के मुंह में खड़े लोगों को जिंदगी दे रहे हैं ऐसे जीवनदायी महापुरुष के दरबार में आने वाले रोगियों की एक लंबी फेहरिश्त है जो अब पूरी तरह से ठीक होकर अपना सांसारिक जीवन जी रहे हैं।
एक अनुमान के मुताबिक साल 2025 - 2030 तक भारत में प्रति वर्ष कैंसर के तीस लाख नए मामले जुड़ेंगे। इसमें सभी प्रकार के कैंसर हैं।  मुंह, गले, जीभ, आंख, नक्, फेफड़े सहित अन्य कैंसर आदतों से जुड़े कैंसर हैं। ब्रेस्ट कैंसर सहित अन्य तरह के कैंसर के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। भारत वर्ष की आबादी तक़रीबन 130 करोड़ है, लेकिन आज भी उत्तर पूर्वी राज्यों और पूर्वी राज्यों के ग्रामीण इलाकों में कैंसर के इलाज के लिए लगभग 100 मील दूर तक जाना पड़ता है लेकिन एकाध लोगों को छोड़ दिया जाये तो बाकि के लोगों को इससे निजात नहीं मिल पाती। प्रति एक लाख व्यक्तियों में 120 व्यक्तियों को कैंसर होता है।
गुजरात की करीब छह करोड़ की आबादी में  प्रति वर्ष कैंसर के 72-75 हजार नए मामले जुड़ते हैं। इसके अलावा तीन गुना लोग कैंसर का उपचार लेते हैं। यदि पूरे भारत की स्थिति देखें तो प्रति वर्ष कैंसर के दस लाख नए मामले जुड़ते हैं।  कुलमिलाकर कैंसर दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में रहने वाले लोगों में तेजी से फ़ैल रहा है जबकि इसके उपचार का कोई ठोस उपाय अब तक कोई देश नहीं निकाल पाया ऐसे में साइंटिस्ट मुनीर खान का बॉडी रिवाइवल मृत शैया पर पड़े लोगों के लिए मृत संजीवनी साबित हो रहा है। यदि साइंटिस्ट मुनीर खान को 21वीं सदी का हर्बल देवता कहा जाये तो इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी।