तमिलनाडु के किसानों ने मूत्र पीकर किया विरोध 

 22 Apr 2017  1551

समीरा मंसूरी, in24 न्यूज़, नई दिल्ली

किसानों की बदहाली के मामले देश के अनेक राज्यों में लगातार देखने-सुनने को मिलते ही रहते हैं. कोई किसान सूखे से परेशान है तो कोई आर्थिक परेशानियों का सामना करने पर मजबूर नज़र आ रहा है। यदि बात तमिलनाडु की करें तो यहां के किसानों की परेशानी इसी बात से समझी जा सकती है कि दिल्ली के जंतर मंतर पर प्रदर्शन करते हुए इन्होंने अपने मूत्र को पीकर अपना विरोध सरकार के सामने रखने की कोशिश की।

गौरतलब है कि तमिलनाडु से तक़रीबन 134 किसान 14 मार्च से दिल्ली के जंतर-मंतर पर प्रदर्शन कर रहे हैं. बताया जा रहा है कि तमिलनाडु में भयंकर सूखा है और इस  सूखे ने 140 साल का रिकॉर्ड तोड़ा है। तमिलनाडु के किसानों को प्रदर्शन करते हुए  करीब 40 दिनबीत चुके हैं। लेकिन अब तक सरकार की तरफ से इन्हें किसी भी तरह का प्रतिसाद नहीं दिया गया और न कोई इनकी पुकार सुनने को कोई तैयार है। राजनीतिक पार्टियां इनके प्रदर्शन को देख कर भी अनदेखा कर रही हैं।

तमिलनाडु से दिल्ली प्रदर्शन करने आए कई किसान बीमार हो गए जिसकी वजह से वह अपने घर फिर से लौट गए, लेकिन कुछ किसानों के घर लौटने से तक़रीबन 100 किसानों का हुजूम जंतर मंतर पर पहुंचा, इन किसानों का प्रदर्शन करने का मकसद साफ़ है एक तो क़र्ज़ माफी और दूसरा सूखा की मार से राहत। इन किसानो ने तक़रीबन 40 दिनों में विरोध प्रदर्शन के दौरान अलग अलग तरह से अपनी भावनाएं व्यक्त कीं।

आपको बता दें कि दिल्ली के जंतर मंतर पर प्रदर्शन कर रहे तमिलनाडु के किसानों के सब्र का बांध तब टूट गया जब सर्कार की तरफ से उनकी लगातार अनदेखी की गई और नाराज़ किसानों ने मूत्र पीकर अपनी नाराज़गी दर्शाई। किसानों ने इससे पहले कहा था कि यदि मोदी सरकार इनकी गुहार नहीं सुनती है तो वे आज तो मूत्र पी रहे हैं, लेकिन रविवार के दिन वह मल खाने को भी मजबूर हो जाएंगे।

आपको बता दें कि पिछले 40 दिनों से इन किसानों ने सरकार का ध्यान अपनी तरफ खींचने के लिए अपने प्रदर्शन को रोचक बनाए रखा है और हर वह कदम उठा रहे हैं जिसके ज़रिये इनकी बात राजनीतिक पार्टियों के अलावा तमिलनाडु के मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री तक पहुंच सके। हम आपको बता दें कि किसानों ने अपनी तरफ सरकार का ध्यान आकर्षित करने के लिए आधे ढके तन के साथ क़र्ज़ माफ़ी की मांग की और गले में नरमुंड की माला डालकर कहने लगे कि यह नरमुंड उन किसानों की है जिन्होंने कर्ज से तंग आकर आत्महत्या कर ली थी। दो किसानों ने तो पेड़ पर चढ़कर फांसी लगाकर आत्महत्या करने की कोशिश भी की लेकिन पुलिस ने समय रहते ही उन किसानों को बचा लिया। किसानों ने अपने कपड़े की जगह अपने बदन को पत्तों से ढक लिया, तो अपने बदन पर पेंट तक कर लिए. सरकार से नाराज़ किसानों ने सुप्रीम कोर्ट तक सिर्फ लंगोट पहनकर प्रदर्शन किया। यह सब करने से भी उनकी पुकार नहीं सुनी गई तो वे जंतर मंतर पर कुत्ता बन गए और भौंकने लगे, यही नहीं जिंदा किसान को लाश बनाकर उसका शोक भी मनाने लगे और लाश बने किसान की शोक यात्रा निकाली।

इसके अलावा किसानों ने रेलवे पटरियों से चूहों को पकड़कर अपने दांतों में दबाकर भी अपना विरोध जताया। किसानों का विरोध अब भी जारी है। कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गांधी इनसे मिलने आए और इन किसानों की चिट्ठी प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी तक भी पहुंची है पर अब तक इनकी परेशानी जस की तस बनी हुई है।