लापरवाही ने ली मासूमों की जान, शर्मसार हुई मानवता !

 17 Aug 2017  1399

उत्तर प्रदेश के गोरखपुर के मेडिकल कॉलेज में बच्चों के मौत की गुत्थी सुलझने की बजाए और उलझती जा रही है बाबा राघव दास मेडिकल कॉलेज में बच्चों की मौत के मामले में डीएम की ओर से दी गई रिपोर्ट ने नए विवाद को जन्म दे दिया है। स्थानीय प्रशासन की जांच में मौत का सही कारण नहीं बताया गया है। वहीं, ऑक्सिजन सप्लायर को जिम्मेदार ठहराया गया है। हैरानी की बात यह है कि अभी तक यूपी की योगी आदित्यनाथ सरकार बच्चों की मौत के लिए ऑक्सिजन की कमी को जिम्मेदार मानने से इनकार करती रही है।

डीएम की रिपोर्ट के मुताबिक, ऑक्सिजन की खरीद और रीफिलिंग से जुड़ी लॉग बुक में कई जगह ओवर राइटिंग है। रिपोर्ट में पुष्पा सेल्स को लिक्विड ऑक्सिजन की सप्लाइ रोकने का जिम्मेदार ठहराया गया है। इसके अलावा, तत्कालीन प्रिंसिपल डॉ आरके मिश्रा और एनिसथीजिया डिपार्टमेंट के हेड डॉ सतीश कुमार की 10 अगस्त को कॉलेज से अनुपस्थिति पर भी सवाल उठाए गए हैं। बता दें कि कुमार पर ही अस्पताल के विभिन्न वॉर्ड्स में ऑक्सिजन की सप्लाइ कायम रखने की जिम्मेदारी थी।

बता दें कि 10 और 11 अगस्त को अस्पताल में 30 बच्चों की मौत हो गई थी। 10 अगस्त को ऑक्सिजन की सप्लाइ बाधित हुई थी। हालांकि, यूपी सरकार का कहना है कि मौत की वजह यह नहीं है। डीएम की रिपोर्ट में मौत का कारण तो नहीं बताया गया, लेकिन यह जरूर लिखा है कि डॉ कुमार के अलावा चीफ फार्मासिस्ट गजानन जायसवाल ने जानबूझकर ऑक्सिजन सिलिंडरों की खरीद का रेकॉर्ड नहीं रखा। यह भी कहा गया है कि डॉ सतीश कुमार ने न तो कभी लॉग बुक चेक किया और न ही इस पर हस्ताक्षर किए। रिपोर्ट में डॉ मिश्रा और डॉ सतीश कुमार की 10 और 11 अगस्त को संदेहास्पद अनुपस्थिति पर भी सवाल उठाए गए हैं। इसमें लिखा है, 'जहां डॉ मिश्रा 10 अगस्त को ऑफिस नहीं आए, वहीं डॉ सतीश बिना किसी को सूचित किए मुंबई चले गए।अगर वह ऑक्सिजन सप्लाइ की समस्या के बारे में किसी से चर्चा करते तो शायद इस दिक्कत को दूर कर लिया जाता।'

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि प्रिंसिपल, सीएमएस रामशंकर शुक्ला, पीडियाट्रिक्स डिपार्टमेंट की हेड महिमा मित्तल और इंसेफेलाइटिस वॉर्ड के ओएसडी कफील खान के बीच पूरी तरह सामंजस्य की कमी थी। बता दें कि जहां प्रिंसिपल मिश्रा को सस्पेंड कर दिया गया है, वहीं खान को ओएसडी के पद से हटा दिया गया है। डीएम की रिपोर्ट जो इशारा कर रही उससे एक बात तो साफ़ है कि उत्तरप्रदेश में मेडिकल संसथान के अधिकारी किस कदर संवेदनहीन हो गए हैं इस तरह की घटना न सिर्फ संस्थान के उन अधिकारियों पर सवालिया निशान लगाती है बल्कि ये घटना मानवता को भी शर्मसार करती है