हिस्ट्रीशीटर के गुंडों ने कानपुर में आठ पुलिसकर्मियों की जान ली

 03 Jul 2020  615

संवाददाता/in24 न्यूज़.
उत्तर प्रदेश में अपराधियों और गुंडों का मनोबल इस कदर बढ़ा हुआ है कि उनमें कानून व्यवस्था का किसी तरह का खौफ नहीं दिखता। एक हिस्ट्रीशीटर गुंडे को पकड़ना पुलिस का काम है पर जब पुलिस पहुंचती है तो पहले से ही घात लगाए गुंडे पुलिस पर हमला कर देते हैं और इस हमले में आठ पुलिस वालों को शहीद होना पड़ता है.
गौरतलब है कि कानपुर में गुरुवार देर रात कुख्यात हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे के घर दबिश देने गई पुलिस की टीम पर ताबड़तोड़ फायरिंग हुई, जिसमें सीओ सहित आठ पुलिसकर्मियों की जान चली गई. कानपुर जोन के अपर पुलिस महानिदेशक जय नारायन सिंह ने इस घटना की पुष्टि की। उन्होंने बताया कि इस फायरिंग में चार और पुलिसकर्मी गंभीर रूप से घायल हैं जिन्हें रिजेंसी अस्पताल में भर्ती कराया गया है। इस फायरिंग के बाद एसएसपी, तीन एसपी और एक दर्जन से अधिक थानों का फोर्स मौके पर पहुंच गया। बता दें कि कुख्यात हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे साल 2001 में दर्जा प्राप्त राज्यमंत्री संतोष शुक्ला हत्याकांड का मुख्य आरोपी है। इसके अलावा, साल 2000 में कानपुर के शिवली थानाक्षेत्र स्थित ताराचंद इंटर कॉलेज के सहायक प्रबंधक सिद्धेश्वर पांडेय की हत्या में भी उसका नाम आया था। इसके अलावा कानपुर के शिवली थानाक्षेत्र में ही साल 2000 में रामबाबू यादव की हत्या के मामले में विकास दुबे की जेल के अंदर रहकर साजिश रचने का आरोप है। साल 2004 में केबल व्यवसायी दिनेश दुबे की हत्या के मामले में भी विकास आरोपी है। खबरों के अनुसार साल 2018 में विकास दुबे नें अपने चचेरे भाई अनुराग पर जानलेवा हमला किया था। उसने माती जेल में बैठकर पूरे साजिश रची थी। अनुराग की पत्नी ने विकास समेत चार लोगों को नामजद किया था। विकास दुबे   बिठूर के शिवली थाना क्षेत्र के बिकरु गांव का रहने वाला है। उसने अपने घर को किले की तरह बना रखा है। यहां उसकी मर्जी के बिना घुस पाना बहुत ही मुश्किल है। विकास दुबे को पकड़ने के लिए बिहार की सीमा पर भी गश्त तेज कर दी गई है। इसके अलावा कानपुर की सीमा को सील कर लगातार छापेमारी शुरू कर दी गई है। वहीं मामले की गंभीरता को देखते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कड़े एक्शन का आदेश दिया है। इस घटना के बाद कानपुर में लोगों के अंदर दहशत का माहौल पसरा हुआ है.