आम सहमति से बनाया गया शारीरिक संबंध रेप नहीं ! - मुंबई हाईकोर्ट 

 22 Jan 2017  1881

ब्यूरो रिपोर्ट / in24 न्यूज़

मुंबई हाईकोर्ट ने बलात्कार के एक मामले की सुनवाई के दौरान अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि, शिक्षित लड़की प्रेमी द्वारा धोखा दिए जाने के बाद बलात्कार का रोना नहीं रो सकती।  कोर्ट ने कहा कि, सहमति से बनाये गए शारीरिक संबंध को हम रेप की संज्ञा नहीं दे सकते या फिर शादी का वादा करके शारीरिक संबंध बनाना हर मामले में बलात्कार नहीं होता। माननीय कोर्ट ने 21 वर्षीय एक व्यक्ति की अग्रिम जमानत मंजूर करते हुए कहा कि, शिक्षित महिला अपने साथी के साथ शारीरिक संबंधों के परिणामों को समझ पाने में पर्याप्त रूप से परिपक्व है और ऐसे मामले बलात्कार के दायरे में नहीं आएंगे। कोर्ट ने यह भी कहा कि, पढ़ी-लिखी लड़कियों को अपने फैसले की जिम्मेदारी लेनी चाहिए।
बलात्कार के मामले पर सुनवाई कर रही मुंबई हाईकोर्ट की न्यायाधीश मृदुला भाटकर ने कहा कि, शिक्षित लड़की विवाह से पहले यदि अपने प्रेमी के साथ शारीरिक संबंध बनाती है तो वो इस फैसले के लिए स्वयं जिम्मेदार है।  माननीय जज महोदया ने कहा कि, हमारा समाज तेजी से बदल रहा है। यह लड़की की जिम्मेदारी बनती है कि वो शादी के समय तक कुंवारी रहना चाहती है या फिर नहीं। आपको बता दें कि, एक युवक और एक युवती के बीच प्रेम संबंध थे और जब उनके बीच किसी बात को लेकर संबंध टूटा तो लड़की ने युवक के खिलाफ रेप का आरोप लगा दिया जिसके बाद कथित युवक को पुलिस ने गिरफ्तार किया था।
माननीय जज ने यह भी कहा कि, शारीरिक संबंध बनाने के लड़कियों को प्रलोभन दिया जाता है लेकिन हर मामले में यह सच नहीं होता। जैसा कि इस मामले में प्रतीत होता है। माननीय कोर्ट ने अपने इस फैसले के साथ कथित बलात्कार के आरोपी 21 वर्षीय युवक को जमानत दे दी।  बहरहाल, रेप जैसे संवेदनशील विषय पर देश की जनता के अलग-अलग राय अब तक सामने आये थे लेकिन पहली बार माननीय न्यायपालिका ने यह माना कि, रेप के हर मामले एक जैसे नहीं होते और आगे से पढ़ी-लिखी सुशिक्षित लड़कियां रेप का आरोप लगाने के पहले सौ बार सोचेंगी।