ख़ूबसूरत मधुबाला का जन्मदिन आज

 14 Feb 2020  792

संवाददाता/in24 न्यूज़.  

खूबसूरती का दूसरा नाम कभी मधुबाला का हुआ करता था जिनकी आज 87वीं जयंती है। वेलेंटाइन डे वाले दिन जन्मीं इस खूबसूरत अदाकारा के हर अंदाज में प्यार झलकता था। उनमें बचपन से ही सिनेमा में काम करने की तमन्ना थी, जो आखिरकार पूरी हो गई। उन्हें 'वीनस ऑफ इंडियन सिनेमा' और 'द ब्यूटी ऑफ ट्रेजेडी' जैसे नाम भी दिये गए। मधुबाला का जन्म 14 फरवरी, 1933 को दिल्ली में हुआ था। इनके बचपन का नाम मुमताज जहां देहलवी था। इनके पिता का नाम अताउल्लाह और माता का नाम आयशा बेगम था। शुरुआती दिनों में इनके पिता पेशावर की एक तंबाकू फैक्ट्री में काम करते थे। वहां से नौकरी छोड़ उनके पिता दिल्ली, और वहां से मुंबई चले आए, जहां मधुबाला का जन्म हुआ। मधुबाला ने सिर्फ 6 साल साल की उम्र में ही मायानगरी में अपने कदम रख दिए थे। उन्होंने फिल्मी करियर की शुरुआत साल 1942 की फिल्म 'बसंत' से की थी। इस फिल्म में उन्होंने बतौर चाइल्ड ऐक्टर की भूमिका में थी। यह काफी सफल फिल्म रही। इस फिल्म के बाद लोगों के बीच इस खूबसूरत अदाकारा की पहचान बनने लगी। उनके अभिनय को देखकर उस समय मशहूर अभिनेत्री देविका रानी बहुत प्रभावित हुई और मुमताज जेहान देहलवी को अपना नाम बदलकर 'मधुबाला' के नाम रखने की सलाह दी। साल 1947 में आई फिल्म 'नील कमल' मुमताज के नाम से आखिरी फिल्म थी। इसके बाद वह मधुबाला के नाम से जानी जाने लगीं। इस फिल्म में उन्होंने राजकपुर के साथ काम किया। मधुबाला उस समय सिर्फ 14 साल की थी। फिल्म 'नील कमल' में अभिनय के बाद से उन्हें सिनेमा की 'सौंदर्य देवी' कहा जाने लगा। दो साल बाद मधुबाला ने बॉम्बे टॉकिज की फिल्म 'महल' में अभिनय किया । इस फिल्म की सफलता के बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। मधुबाला उस समय के सभी लोकप्रिय पुरुष कलाकारों के साथ उनकी एक के बाद एक फिल्में आती रहीं। मधुबाला ने उस समय के सफल अभिनेता अशोक कुमार, रहमान, दिलीप कुमार और देवानंद जैसे दिग्गज कलाकारों के साथ काम किया था। साल 1950 के दशक के बाद उनकी कुछ फिल्में असफल भी हुईं। असफलता के समय आलोचक कहने लगे थे कि मधुबाला में प्रतिभा नहीं है बल्कि उनकी सुंदरता की वजह से उनकी फिल्में हिट हुई हैं। इन सबके बाबजूद मधुबाला कभी निराश नहीं हुईं। कई फिल्में फ्लॉप होने के बाद साल 1958 में उन्होंने एक बार फिर अपनी प्रतिभा को साबित किया और उसी साल उन्होंने भारतीय सिनेमा को 'फागुन', 'हावड़ा ब्रिज', 'काला पानी' और 'चलती का नाम गाड़ी' जैसी सुपरहिट फिल्में दीं। साल 1960 के दशक में मधुबाला ने किशोर कुमार से शादी कर ली। शादी से पहले किशोर कुमार ने इस्लाम धर्म कबूल किया और नाम बदलकर करीम अब्दुल हो गए। उसी समय मधुबाला एक भयानक रोग से पीड़ित हो गई। शादी के बाद रोग के इलाज के लिए दोनों लंदन चले गए। लंदन के डॉक्टर ने मधुबाला को देखते ही कह दिया कि वह दो साल से ज्यादा जीवित नहीं रह सकतीं।इसके बाद लगातार जांच से पता चला कि मधुबाला के दिल में छेद है और इसकी वजह से इनके शरीर में खून की मात्रा बढ़ती जा रही थी। डॉक्टर भी इस रोग के आगे हार मान गए और कह दिया कि ऑपरेशन के बाद भी वह ज्यादा समय तक जीवित नहीं रह पाएंगी। इसी दौरान उन्हें अभिनय छोड़ना पड़ा। इसके बाद उन्होंने निर्देशन में हाथ आजमाया। मधुबाला अपने माता-पिता ही नहीं 11 भाई बहन वाले परिवार में इकलौती थीं जिनकी कमाई से पूरे घर का खर्च चलता था।