शोमैन राज कपूर की 32वीं पुण्यतिथि आज

 02 Jun 2020  661

संवाददाता/in24 न्यूज़.  
हिंदी फिल्मों के असली शोमैन के रूप में सबसे पहला नाम राज कपूर का आता है. आज इनकी 32 वीं पुण्यतिथि है. पृथ्वीराज कपूर के घर 14 दिसंबर 1924 को इस कलाकार ने जन्म लिया। पृथ्वीराज को इस वक्त शायद ही मालूम होगा कि उनका यह चिराग एक दिन बड़ा होकर इतना नाम करेगा। राज कपूर ने चार दशक तक हिंदी सिनेमा पर राज किया और एक से बढ़कर एक हिट फिल्में दी। वह एक दिग्गज अभिनेता, डायरेक्टर और प्रोड्यूसर के तौर पर आज भी याद किए जाते हैं। राज कपूर 2 जून 1988 को इस दुनिया को अलविदा कह गए थे। राज कपूर पहली बार पर्दे पर फिल्म इंकलाब (1935) में नजर आये, तब वह सिर्फ 10 साल के थे। इसके बाद 12 सालों तक वे अपने पिता के साथ छोटी-मोटी फिल्मों में नजर आए। राज कपूर को बड़ा मौका निर्देशक किदार शर्मा ने अपनी फिल्म नील कमल (1945) में दिया। उस समय राज कपूर 20 साल के नौजवान थे। फिल्म नील कमल सुपरहिट होने के बाद उन्हें हर कोई अपनी फिल्म में लेना चाहता था। उन्होंने साल 1948 में अपना स्टूडियो आरके फिल्म्स स्थापित किया। इसमें बनी उनकी पहली फिल्म आग थी। इस फिल्म में उनके साथ अभिनेत्री नरगिस, कामिनी कौशल और प्रेमनाथ मुख्य भूमिका में थे। फिल्म सुपरहिट रही और लोगों ने राज कपूर की जोड़ी नरगिस के साथ खूब पसंद की। आरके फिल्म्स के बैनर तले आवारा (1955), श्री 420 (1956), जागते रहो (1956) और जिस देश में गंगा बहती है (1960) जैसी सुपरहिट फिल्में बनीं। राज कपूर और नरगिस की जोड़ी पर्दे पर भी खूब जमी और पर्दे के पीछे भी खूब चली। एक रिपोर्ट् के मुताबिक जब नरगिस ने उनसे शादी की बात की तो वे हां नहीं कर पाये क्योंकि वे अपने पिता के खिलाफ नहीं जाना चाहते थे। इस बात से नरगिस का दिल टूट गया और उन्होंने राज कपूर से रिश्ता तोड़ दिया। इसके बाद उनके साथ कोई फिल्म भी नहीं की और अभिनेता सुनील दत्त से शादी कर ली थी। बताया जाता है कि नरगिस की शादी की खबर सुनकर राजकपूर रो पड़े थे। उनकी याद में उन्होंने फिल्म 'बॉबी' बनाई थी जिसमें ऋषि कपूर और डिंपल कपाड़िया की जोड़ी पॉपुलर हुई। फिल्म 'बरसात' में राज कपूर ने एक निर्देशक, प्रोड्यूस और एक्टर के तौर पर काम किया। इस फिल्म में भी उनकी हीरोइन नरगिस बनी और यहीं से इनके अफेयर के किस्से भी शुरु हो गये थे। राज कपूर कॉमेडियन चार्ली चैपलिन के बहुत बड़े फैन थे। इसलिए उनकी स्टाइल की बहुत कॉपी करते थे। उनकी तरह शॉर्ट मूंछ और उनकी तरह एक्टिंग करने का अंदाज उन्हें सबसे अलग अभिनेता बनाता था। 1995 में राम तेरी गंगा मैली राज कपूर के निर्देशन में बनी आखिरी फिल्म थी। जो 25 जुलाई को यह फिल्म रिलीज हुई। मनोरंजन जगत में अपना बेहतरीन योगदान देने के लिए भारत सरकार की तरफ से साल 1971 में उन्हें पद्मभूषण से सम्मानित किया। फिल्म अनाड़ी और जिस देश में गंगा रहता है के लिए बेस्ट एक्टर का और फिल्म संगम, मेरा नाम जोकर और प्रेम रोग के लिए बेस्ट डायरेक्टर का फिल्मफेयर अवॉर्ड मिला। साल 1987 में उन्हें दादा साहब फाल्के अवॉर्ड दिया गया। राज साहब अस्थमा के मरीज थे। वह दिल्ली दादा साहब फाल्के पुरस्कार ग्रहण करने आए थे, वहीं उन्हें अस्थमा का अटैक पड़ गया और उनकी मृत्यु हो गई।