केंद्रीय मंत्री अनिल माधव दवे का निधन

 18 May 2017  1381
ब्यूरो रिपोर्ट/in24 न्यूज़, नई दिल्ली
केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री अनिल माधव दवे का निधन दिल का दौरा पड़ने से हुआ है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर उनके निधन पर शोक जताया है. पीएम मोदी ने ट्वीट करते हुए लिखा, मैं कल शाम को अनिल दवे जी के साथ था, उनके साथ नीतिगत मुद्दों पर चर्चा कर रहा था. उनका निधन मेरा निजी नुकसान है. उन्हें लोग जुझारू लोकसेवक के तौर पर याद रखेंगे. पर्यावरण संरक्षण की दिशा में वह काफी जुझारू थे.
https://twitter.com/narendramodi/status/865059021308411904 https://twitter.com/narendramodi/status/865058902395584512 https://twitter.com/narendramodi/status/865058698913128449
दवे का जन्म 6 जुलाई 1956  को उज्जैन के बड़नगर में हुआ था. इंदौर के गुजराती कॉलेज से एम कॉम करने वाले अनिल शुरुआत से ही आरएसएस से जुड़े हुए थे और नर्मदा नदी बचाओ अभियान में काम कर रहे थे. आपको बता दें कि दवे राज्यसभा में साल 2009  मध्यप्रदेश का प्रतिनिधित्व कर रहे थे. यही नहीं बल्कि जल संसाधन समिति और सूचना और प्रसारण मंत्रालय के सलाहकार समिति में भी थे. ग्लोबल वार्मिंग पर संसदीय समिति के भी वह सदस्य रह चुके हैं.आपको बता दें कि सार्वजनिक जीवन शुरू करने वाले अनिल माधव दवे अपना सफर एक आम भाजपा कार्यकर्ता से शुरू करके केंद्रीय मंत्री के पद तक पहुंचे थे. मध्यप्रदेश भाजपा के मुख्य चुनावी रणनीतिकार के रूप में उनकी पहचान बनी थी. अनिल दवे की अंतिम इच्छाएं में मुख्य बातें थीं कि संभव हो तो मेरा दाह संस्कार बांद्राभान में नदी महोत्सव वाले स्थान पर किया जाए. उत्तर क्रिया के रूप में केवल वैदिक कर्म ही हों, किसी भी प्रकार का दिखावा ना किया जाए. मेरी स्मृति में कोई भी स्मारक, प्रतियोगिता, पुरस्कार, प्रशिक्षण इत्यादि का आयोजन न किया जाए. जो मेरी स्मृति में कुछ करना चाहते हैं, वे कृपया वृक्ष लगाने और उनकी रक्षा करने का कार्य करेंगे तो मुझे आनंद होगा. वैसे भी नदी-जलाशयों के संरक्षण में अपनी सामर्थ्य अनुसार अधिकतम सहयोग भी प्रदान किए जा सकते हैं, ऐसा करते हुए भी मेरे नाम के प्रयोग से बचना होगा.
अनिल दवे की ये अंतिम इच्छाएं पर्यावरण के प्रति उनके प्रेम और उनकी सादगी को दर्शाती हैं. आज के जमाने में जब नेता जीते-जी अपनी प्रतिमाओं का उद्धाटन करते हैं, ऐसे में दवे की अंतिम इच्छाएं लोगों का दिल जीत रही हैं. 23 जुलाई 2012 को लिखी गई अपनी इस वसीयत के अंत में अनिल दवे ने लिखा है, 'कृपया मेरी भाषा और लेखन दोष के लिए क्षमा करें.'
दवे और उनके परिवार का आरएसएस से करीबी नाता रहा. वो कॉलेज के दिनों से ही राजनीति में सक्रिय हो गए थे. दवे एक कुशल संगठक और रणनीतिकार भी माने गए. मध्यप्रदेश में भाजपा ने पिछले तीन विधानसभा चुनावों के प्रबंधन की कमान दवे के हाथ में दी थी. उनकी रणनीतियों ने तीनों ही चुनावों में भाजपा को जीत दिलाई.