चीन पड़ रहा है अकेला, भारत को मिल रहा है कई देशों का समर्थन

 19 Aug 2017  1329
ब्यूरो रिपोर्ट / in24न्यूज़
भारत और चीन का विवाद नित नए मोड़ ले रहा है, डोकाला विवाद में चीन की गीदड़ भभकी भी देखी जा रही है. साफ़ है चीन भूटान को दबाकर सिक्किम सिमा पर भारत में अतिक्रमण करना चाहता है लेकिन भारतीय रक्षा मंत्रालय की तरफ से भी साफ कर दिया गया है , की भारत अपनी सम्प्रभुता को लेकर कोई भी समझौता नहीं करेगा,ऐसे में वैश्विक जगत से भारत को मिलते समर्थन के बाद अब चीन डोकलाम विवाद पर कूटनीतिक हार की ओर बढ़ता दिख रहा है. डोकलाम को लेकर चीन के साथ चल रही तनातनी के बीच भारत को अमेरिका और ब्रिटेन के बाद जापान का भी साथ मिला है. सिर्फ यही नहीं जापान ने भारत को समर्थन देने में अमेरिका और ब्रिटेन जैसी अस्पष्टता भी नहीं दिखाई और अब भारत को खुले तौर पर साथ देता दिखाई दे रहा है.
जापान का यह साथ देने का फैसला चीन के अखबार ग्लोबल टाइम्स की उस चेतावनी के एक महीने बाद आया है, जिसमें उसने भारत को डोकलाम विवाद पर जापान का साथ लेने पर धमकाया था. अपनी रिपोर्ट में अखबार ने लिखा था कि भारत डोकलाम विवाद पर किसी भी तरह अमेरिका और जापान से मदद लेने की कोशिश न करे क्योंकि दोनों का समर्थन एक झांसा है. हालांकि अब जापान ने भारत को समर्थन देते हुए साफ शब्दों में कहा है, ''डोकलाम पर जहां तक भारत की भूमिका की बात है, तो हम मानते हैं कि वह भूटान के साथ अपने द्विपक्षीय समझौते के आधार पर ही इस मामले में दखल दे रहा है.
जापान के रक्षा मंत्री ने इत्सूनोरी ओनोडेरा ने कहा है कि जापान और भारत दोनों को चीन के साथ बातचीत कर उसे समझाना चाहिए कि वह बल के जरिए बॉर्डर को बदलने की कोशिश न करे. इन मुद्दों को बातचीत करके और इंटरनैशनल नियमों के हिसाब से सुलझाना चाहिए. उस समय जापान के रक्षा मंत्री ने भी कहा था कि भले ही चीन जापान और भारत दोनों का महत्वपूर्ण पड़ोसी देश है, इसके बावजूद उसके हालिया उत्तेजक चालों के विरोध में पूरे इंटरनैशनल कम्युनिटी को संदेश देना चाहिए. इस बार भी भारत ने चीन को 2012 के समझौते का सम्मान करने को कहा है. इसमें कहा गया था कि कोई भी देश खुद से भारत और चीन की पूर्वी सीमा को बदलने की कोशिश नहीं करेगा. अब जापान के राजदूत ने कहा, 'डोकलाम को लेकर पिछले करीब दो महीनों से तनातनी जारी है. हमारा मानना है कि किसी भी पक्ष को जमीन पर यथास्थिति बदलने के लिए एकतरफा सैन्य इस्तेमाल से बचना चाहिए और शांतिपूर्ण ढंग से विवाद सुलझाना चाहिए.''