अन्ना हजारे की चिट्ठी से केंद्र सरकार में खलबली !

 30 Aug 2017  1512
ब्यूरो रिपोर्ट / in24 न्यूज़
प्रख्यात समाजसेवी अन्ना हजारे केंद्र की मोदी सरकार से नाराज हो गए हैं। लोकपाल नियुक्त ना किए जाने पर नाराजगी जताते हुए उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है। जिसमे यह कहा गया है कि सरकार ने लोकपाल के मुद्दे पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया इसलिए वो फिर दिल्ली की रामलीला मैदान मे सत्याग्रह करेंगे। हालांकि, अन्ना के इस लेटर में ये नहीं बताया गया है कि वो किस तारीख से अनशन करेंगे।
आपको बता दें कि यूपीए सरकार के दौरान भी अन्ना हजारे दिल्ली के रामलीला मैदान में अनशन पर बैठे थे। अन्ना ने मोदी को लिखी चिट्ठी में साफ तौर पर कहा है कि वो जल्द ही रामलीला मैदान में अनशन पर बैठेंगे। इसकी तारीख भी उनका संगठन ‘इंडिया अगेंस्ट करप्शन’ जल्द ही करेगा। हजारे के अनुसार, उनका अनशन तब तक जारी रहेगा जब तक फूड सिक्युरिटी और किसानों के मुद्दे पर स्वामीनाथन कमेटी की सिफारिशें लागू नहीं कर दी जातीं। अन्ना ने खास तौर पर लोकायुक्तों की नियुक्तियों पर जोर दिया है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अन्ना ने मोदी सरकार से कई सवाल भी पूछे हैं। इसके अलावा इस बुजुर्ग गांधीवादी ने कहा है कि सरकार की कथनी और करनी में बेहद ज्यादा अंतर है। यानी सरकार जो कहती है, वो करती नहीं है। आपको बता दें कि अन्ना ने मार्च में भी मोदी को एक लेटर लिखा था। इस लेटर में अन्ना ने कहा था कि मोदी सरकार ने करप्शन खत्म करने के तमाम वादे तो किए लेकिन जब इन पर काम करने की बारी आई तो वो पीछे हट रही है। उस वक्त भी हजारे ने सरकार के खिलाफ आंदोलन की धमकी दी थी।
अन्ना ने कहा है कि जिन राज्यों में बीजेपी की सरकार हैं, वहां भी अब तक लोकायुक्त अप्वॉइंट नहीं किए गए हैं। केंद्र सरकार को अब तीन साल हो गए हैं लेकिन उसने जो वादे करप्शन खत्म करने के लिए किए थे, उन्हें पूरा नहीं किया है। अन्ना ने कहा कि बीजेपी सरकारें ही मोदी की बात पर पूरी तरह अमल नहीं कर रहीं।
अन्ना ने 2011 के आंदोलन की भी याद दिलाई। उन्होंने कहा कि 2011 में रामलीला मैदान में जो आंदोलन हुआ था, उसके बाद संसद में लोकपाल बिल पास किया गया था। लेकिन, मोदी सरकार लोकपाल अप्वॉइंटमेंट को लेकर ज्यादा कुछ नहीं कर रही है। अन्ना के मुताबिक, आंदोलन के अलावा दूसरा रास्ता अब नहीं बचा। ऐसे में यदि अन्ना हजारे एक बार फिर लोकायुक्त के मुद्दे पर अनशन पर बैठते हैं तो यक़ीनन यह न सिर्फ राज्य सरकारों बल्कि केंद्र की मोदी सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती साबित हो सकती है।