राष्ट्रपति चुनाव में एनडीए को समर्थन देकर घिरे उद्धव ठाकरे

 13 Jul 2022  375

संवाददाता/in24 न्यूज़.
राष्ट्रपति चुनाव में एनडीए को समर्थन देकर महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और शिवसेना के मुखिया उद्धव ठाकरे  महा विकास अघाड़ी  के निशाने पर आ गए हैं. महा विकास अघाड़ी की सरकार सत्ता गंवा चुकी है और सूबे के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे हैं. हालांकि राज्य में लगातार चल रहे सियासी घटनाक्रम के बीच अब यहां सत्ता से दूर हो चुकी महा विकास अघाड़ी में दरार के आसार दिख रहे हैं. इस बगावत की वजह है- राष्ट्रपति चुनाव में शिवसेना का NDA उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को समर्थन. राष्ट्रपति चुनाव में शिवसेना ने NDA उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू के समर्थन का ऐलान किया है. इस घोषणा के बाद शिवसेना को अपने सहयोगी कांग्रेस के तंज झलने पड़ रहे हैं. महाराष्ट्र कांग्रेस के वरिष्ठ नेता बालासाहेब थोराट ने राष्ट्रपति चुनाव के लिए एनडीए की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू का समर्थन करने के शिवसेना के रुख पर चिंता व्यक्त की है. बालासाहेब थोराट ने ट्वीट करके शिवसेना के वैचारिक दलबदल पर सवाल उठाया है, जो अभी भी MVA का हिस्सा है. उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति चुनाव एक वैचारिक लड़ाई है. ये लोकतंत्र और संविधान की रक्षा के लिए चल रहा संघर्ष है. ये महिला बनाम पुरुष या आदिवासी बनाम गैर-आदिवासियों का सवाल नहीं है. वो सभी जो संविधान और लोकतंत्र की रक्षा के पक्ष में हैं, यशवंत सिन्हा का समर्थन कर रहे हैं. शिवसेना ने द्रौपदी मुर्मू का समर्थन क्यों किया? उन्होंने इसके कुछ कारण बताए, लेकिन इसके पीछे शिवसेना नेतृत्व की वास्तविक भूमिका के बारे में कुछ नहीं कहा. उन्होंने कहा कि शिवसेना एक अलग राजनीतिक पार्टी है, इसलिए वो अपने फैसले स्वतंत्र रूप से ले सकती है. हालांकि, जब गैर-लोकतांत्रिक रास्ता अपनाकर राज्य सरकार को उखाड़ फेंका गया और शिवसेना के अस्तित्व को चुनौती दी गई, उसके बाद ऐसा फैसला, समझ से बाहर है. शिवसेना महाविकास अघाड़ी का हिस्सा है, लेकिन उन्होंने यह फैसला लेते समय हमसे कोई चर्चा नहीं की. इधर, महा विकास अघाड़ी के सहयोगी दल एनसीपी ने कहा है कि शिवसेना ने एनडीए उम्मीदवार का समर्थन करने का फैसला किया है, वो चाहते हैं कि राज्य में उनका गठबंधन बरकरार रहे. एनसीपी के प्रदेश अध्यक्ष जयंत पाटिल ने कहा कि हर राष्ट्रपति चुनाव में शिवसेना ने अपनी पसंद बनाई है. ये एनडीए का समर्थन नहीं है. कई निर्णय व्यक्तिगत पार्टी स्तर पर लिए जाते हैं, जहां गठबंधन सहयोगियों को हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए. वहीं, एनसीपी ने ये भी कहा है कि शिवसेना ने द्रौपदी मुर्मू को समर्थन देने की घोषणा करने से पहले चर्चा नहीं की थी. बता दें कि 18 जुलाई को राष्ट्रपति चुनाव है.