मोहन मते को मिल सकती है बड़ी सौगात !

 30 Jan 2018  1371

 

 

 

ब्यूरो रिपोर्ट / in24 न्यूज़  

 

महाराष्ट्र का नागपुर जिला सूबे के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस का गढ़ माना जाता है और इस गढ़ में किसी प्रकार की राजनीतिक सेंधमारी न हो सके ये बीजेपी के लिए किसी चुनौती से कम नहीं ऐसे में भारतीय जनता पार्टी के सामने विकल्प के तौर पर एक ही नाम सामने आ रहा है और वो नाम है मोहन मते का ! जी हां, हर फन में माहिर मोहन मते को पार्टी नागपुर शहर प्रमुख की जिम्मेदारी देने का मन बना रही है। चूंकि मोहन मते विधायक भी रह चुके है साथ ही साथ उनके पास पिछले कई अरसे का राजनीतिक अनुभव है इसलिए उन्हें भाजपा की ओर से नागपुर का शहर प्रमुख बनाये जाने की संभावना प्रबल दिखाई दे रही है। आपको बता दें कि कांग्रेस पार्टी और शिवसेना के शहरप्रमुख का सामना कर पाने में नागपुर के वर्तमान शहर प्रमुख विफल साबित हो रहे थे जिसके बाद पार्टी के शीर्ष पदस्थ नेताओं ने इस बार नागपुर शहर प्रमुख की कमान मोहन मते को सौंपने का मन लगभग बना लिया है।

गौरतलब है कि दक्षिण नागपुर के बीजेपी विधायक सुधाकर कोहले वर्तमान में पार्टी के नागपुर शहर प्रमुख हैं। बताया जा रहा है कि सुधाकर कोहले केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के बेहद करीब माने जाते है और उनके ग्रामीण से शहर तक पहुंचने का श्रेय भी नितिन गडकरी को ही जाता है। नगरसेवक बनते ही सुधाकर कोहले को पार्टी का सबसे ज्यादा विश्वासपात्र मानते हुए उनका राजनीतिक कद बढ़ा दिया गया और भारतीय जनता पार्टी की नई ब्रिगेड के मुख्य सूत्रधार सुधाकर बड़े नेता के रूप में उभरे लेकिन इतना ज्यादा मौका मिलने के बाद भी वे नागपुर शहर के भाजपाइयों में अपनी पकड़ नहीं बना पाए। महाराष्ट्र में बीजेपी की सत्ता आसीन होते ही कोहले पर आरोप लगने शुरू हो गए कि उन्होंने अपने पद का दुरूपयोग कर अपने परिजनों को सरकारी ठेके दिलवाये जिसके चलते उनकी नागपुर जिले के पालकमंत्री और सूबे के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के समक्ष किरकिरी भी हुई। हद तो तब हो गयी जब उनके ही करीबियों ने उनका नाम जमीन विवादों में खिंच कर उन्हें अड़चन में डाल दिया। 

लेकिन बात करें यदि नागपुर शहर के संभावित बीजेपी प्रमुख की तो मोहन मते के नाम की चर्चा सबसे ज्यादा है। विधायक का कार्यकाल समाप्त होने के बाद मोहन मते दशकों से ज्यादा समय तक राजनीतिक अज्ञातवास में चले गए। सूत्र ये भी बताते हैं कि कभी नितिन गडकरी के धुर विरोधी रहे महाराष्ट्र के दिवंगत नेता ने अपनी राजनीतिक जमीन और मजबूत करने के लिए मोहन मते को बैशाखी के रूप में इस्तेमाल किया जिसका कि जितनी तेजी से मोहन मते का राजनीतिक क्षेत्र में उत्थान हुआ उतनी ही गति से उनकी राजनीति हाशिये पर चली गयी। लेकिन इस बीच मते के व्यवहार और आचरण में कोई बदलाव नहीं आया वे हमेशा अपने करीबियों और विरोधियों के बीच पूरी निष्ठा और लगन से जुड़े रहे उनके सुख-दुःख में शरीक होकर उन्होंने अपनी एक अलग पहचान बनायी। कुछ महीने पहले जब मोहन मते अपने उम्र के पचासवें पड़ाव पर पहुंचे तो उन्हें शुभकामनाएं देने के लिए उनके आवास पर सभी राजनीतिक दलों के नेताओं का तांता लग गया नतीजा भी ये रहा कभी राजनीति से मोहभंग हुए मोहन मते ने एक बार फिर सक्रीय राजनीति का आगाज किया। 

गौरतलब है कि आगामी लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराये जाने की संभावना जतायी जा रही है ऐसे में सभी राजनीतिक दल बड़े जोर शोर से अपनी तैयारियों में जुट गए हैं। प्रमुख राजनीतिक दलों और अपने सहयोगी पक्ष की आक्रमकता से पूरी ताकत के साथ मुकाबला करने के लिए भारतीय जनता पार्टी अपने पुराने मेहनतकश साथी मोहन मते के कंधों पर शहर की कमान सौंप चुनावी जंग जीतने की उम्मीद लग रही है और उस उम्मीद की कसौटी पर खरा उतरने की प्रबल कोशिश में मोहन मते जुट गए हैं। इसके साथ ही सूबे के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस दक्षिण नागपुर से मोहन मते को चुनाव मैदान में उतारने की तैयारी में हैं और दक्षिण नागपुर के वर्तमान बीजेपी विधायक सुधाकर कोहले को कलमेश्वर-सावनेर विधानसभा क्षेत्र में सक्रीय राजनीति में अग्रसर होने का आदेश भी दे चुके हैं इससे कोहले का भी मान बरकरार है। वैसे सावनेर की जनता भी अब बदलाव चाहती है जिसमे केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी की भूमिका भी काफी महत्वपूर्ण मानी जा रही है बहरहाल नागपुर शहर प्रमुख की कमान क्या वाकई मोहन मते को सौंपी जाएगी इस पर नागपुर वासियों की निगाहें टिकी हुई हैं।