ठाणे और कल्याण लोकसभा सीट लेकर बीजेपी और शिंदे गुट में तनातनी !

 13 Jun 2023  469
संवाददाता/in24 न्यूज़। 
 महाराष्ट्र में लोकसभा चुनाव को लगभग एक साल का वक्त है लेकिन बीजेपी ने अभी से ही चुनाव की तैयारियों का बिगुल बजा दिया है। जिसके बाद मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और बीजेपी के बीच सीटों के बंटवारे को लेकर अभी से तनातनी शुरू हो चुकी है। ठाणे जिले को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे का गढ़ माना जाता है। ठाणे, कल्याण- डोंबिवली, पालघर जैसे इलाकों में शिंदे का वर्चस्व है। लेकिन अब इस वर्चस्व को कम करने की कोशिश शिंदे की सहयोगी पार्टी बीजेपी कर रही है। ठाणे में बीजेपी के विधायक संजय केलकर ने यह कहकर एकनाथ शिंदे की मुश्किलें बढ़ा दी हैं कि ठाणे और कल्याण में बीजेपी लोकसभा का चुनाव लड़ेगी। केलकर के इस बयान का असर काफी दूरगामी होगा। इससे एकनाथ शिंदे गुट और बीजेपी के बीच में लोकल स्तर पर खींचतान और तनाव बढ़ना तय माना जा रहा है।
       केलकर का यह बयान इसलिए अहम माना जा रहा है क्योंकि प्रदेश बीजेपी के आला नेताओं की मौजूदगी में उन्होंने यह बयान दिया है। संजय केलकर ने साफ कहा मोदी लहर की वजह से हमारे कई सहयोगी साल 2014 और उसके बाद 2019 में चुनाव जीते हैं। उन्होंने कहा कि यहां बीजेपी ने जमीनी स्टार पर इतना अच्छा काम किया है और लोगों से संपर्क स्थापित किया है। जिसकी वजह से बीजेपी के अलावा वहां कोई और पार्टी नहीं जीत सकती। केलकर ने कहा कि रामभाऊ म्हालगी और राम कापसे के ज़माने से ठाणे, पालघर पर बीजेपी का कब्ज़ा रहा है। फिर शिवसेना के लोग इन सीटों पर कैसे दावा कर सकते हैं। संजय केलकर ने कहा कि इन सीटों पर दावा करने वाली शिवसेना को लग रहा है कि वह पीएम मोदी दोबारा जीत दिलवाएंगे। यह उनकी गलतफहमी है, बीजेपी के जमीनी कार्यकर्ता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को फिर से जीत दिलाने के लिए कमर कस चुका है। बीजेपी का कार्यकर्ता मोदी सरकार का एक- एक काम जनता तक पहुंचाने में जुटा हुआ है।

      दरअसल ठाणे जिले के डोंबिवली पूर्व में कुछ दिन पहले बीजेपी मंडल अध्यक्ष और पदाधिकारी नंदू जोशी के खिलाफ डोंबिवली मानपाडा पुलिस स्टेशन में छेड़छाड़ का मामला दर्ज किया गया था। इसके बाद बीजेपी के पदाधिकारी और कार्यकर्ता आक्रामक हो गए थे। बीजेपी कार्यकर्ताओं ने मानपाडा पुलिस स्टेशन के वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था और शेखर बागडे का तबादला करने की मांग की थी। इसके चलते बागडे को कुछ दिनों के लिए छुट्टी पर भेज दिया गया था। बीजेपी नेताओं ने यह आरोप लगाया कि इस आंदोलन में शिंदे गुट ने बीजेपी का साथ नहीं दिया था। इसी वजह से बीजेपी नेताओं में नाराजगी है।