बर्खास्त मंत्री राजेंद्र गुढ़ा ने विधानसभा में लहराई लाल डायरी, मार्शल ने धक्का देकर निकाला सदन से बाहर

 24 Jul 2023  3145

संवाददाता/ in24 न्यूज़।  
राजस्थान विधानसभा में अपनी ही सरकार को घेरने के बाद मंत्री पद से बर्खास्त हुए राजेन्द्र गुढ़ा ने सोमवार को विधानसभा सदन में लाल डायरी लहराते हुए विधानसभा अध्यक्ष डॉक्टर सीपी जोशी के आसन के सामने वेल में पहुंच गए। डायरी लहराते हुए गुढ़ा ने कहा कि मुझे बोलने दिया जाए। इस पर विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीपी जोशी उनसे बार-बार कहते रहे 'कम टू माय चेंबर' यहां सदन में नहीं बोलने दिया जाएगा, आप मुझे डिक्टेट नहीं कर सकते। आप चेंबर में आइए। इस पर गुढ़ा तैयार नहीं हुए तो जोशी ने उनसे कहा कि दादागिरी करनी है क्या? इस दौरान विधायक राजेंद्र गुढ़ा ने धारीवाल के साथ धक्का-मुक्की करने लगे। इस पर कांग्रेस विधायक रफीक खान ने बीच बचाव किया। इसके बाद बर्खास्त मंत्री राजेंद्र गुढ़ा को विधानसभा अध्यक्ष के निर्देश के बाद मार्शल धक्के देकर सदन से बाहर ले गए। और विधानसभा अध्यक्ष ने सदन को स्थगित कर दिया।

    बता दें कि गहलोत सरकार में कैबिनेट से हटाए जाने के बाद राजेंद्र गुढ़ा ने सीएम अशोक गहलोत सहित अन्य कांग्रेस नेताओं पर जमकर जुबानी हमला बोला है। गुढ़ा ने कहा, मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा ने मुझ पर बीजेपी से मिलीभगत के आरोप लगाए हैं। लेकिन अगर सीएम गहलोत और वसुंधरा राजे एक हो जाएं तो कोई बात नहीं। गुढ़ा ने कहा, मैं नहीं होता तो सीएम गहलोत आज जेल में होते। बर्खास्त किए गए मंत्री राजेंद्र गुढ़ा ने कहा, गहलोत सरकार जब संकट में थी और धर्मेंद्र राठौड़ के यहां ईडी और इनकम टैक्स के छापे मारे जा रहे थे। तब मुख्यमंत्री गहलोत ने मुझे बुलाया और वो लाल डायरी लाने को बोले थे। मैं 9वीं मंजिल पर 150 सीआरपीएफ जवानों के बीच में घुसते हुए दरवाजा तोड़कर लाल डायरी लेकर आया और गहलोत सरकार बचाई।

        गुढ़ा ने कहा, मेरे बेटे के जन्मदिन पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत उदयपुरवाटी आए थे। उस दौरान भी उन्होंने लाल डायरी वाली बात कही थी। गहलोत ने कहा था कि यदि राजेंद्र गुढ़ा नहीं होता, तो मैं मुख्यमंत्री नहीं होता और यह सरकार नहीं होती। गुढ़ा ने कहा, मुझे सुनवाई का तनिक भी मौका नहीं दिया गया। कोर्ट में भी मुकदमा चलता है तो पूरा प्रोसीजर अपनाया जाता है। पुलिस थाने में मुकदमा दर्ज होता है, फिर चालान पेश होता है। गवाहों के बयान होते हैं, दोनों पक्षों के वकीलों की कोर्ट में बहस होती है। उसके बाद कहीं कोर्ट फैसला सुनाता है। लेकिन यहां तो सीधे ही राजेंद्र गुढ़ा को उड़ा दिया और आदेश दे दिया कि राजेंद्र गुढ़ा बर्खास्त।