नागरिकता संशोधन कानून लागू होते ही शुरू हुई सियासत, कहीं खुशी कहीं गम

 12 Mar 2024  1800

ब्यूरो रिपोर्ट/in24न्यूज़      


केंद्र सरकार ने सोमवार को सीएए (नागरिकता संशोधन कानून) लागू करने का नोटिफिकेशन जारी कर दिया। भाजपा समर्थक जहां सरकार के इस फैसले पर खुशी जता रहे हैं, वहीं विपक्ष इस मुद्दे पर सरकार के खिलाफ मुखर हो गया है। कांग्रेस ने चुनाव से ऐन पहले सीएए लागू करने को बंटवारे की राजनीति करार दिया। कांग्रेस ने कहा कि सीएए, भेदभाव को बढ़ावा देता है और यह भारतीय संविधान के मूल सिद्धांतों के विपरीत है। टीएमसी नेता और ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी ने भी लोकसभा चुनाव से पहले सीएए नियमों को अधिसूचित करने को लेकर केंद्र सरकार और भाजपा की आलोचना की है। उन्होंने कहा कि जल्दबाजी में लाए गए इस कानून के बारे में कोई स्पष्टता नहीं है। टीएमसी के सूत्रों ने बताया कि बंद कमरे में एक बैठक के दौरान अभिषेक बनर्जी ने कहा कि आश्चर्य है कि जब कानून 2019 में पारित किया गया तो नियम बनाने में पांच साल क्यों लग गए। उन्होंने कहा कि अब लोकसभा चुनाव से पहले इसे जल्दबाजी में लाया गया है। भाकपा (माओवादी) ने नागरिकता संशोधन अधिनियम को अधिसूचित किए जाने का विरोध किया है। भाकपा ने कहा है कि यह नागरिकता को धार्मिक पहचान से जोड़ता है। इसके कारण इससे संविधान के धर्मनिरपेक्ष सिद्धांत का उल्लंघन होता है। पार्टी ने एक बयान में कहा कि  इस अधिनियम के तहत अधिसूचित नियम पड़ोसी देशों से आने वाले मुसलमानों के प्रति भेदभावपूर्ण दृष्टिकोण वाले हैं। वहीं, इस अधिनियम का कार्यान्वयन राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर से भी जुड़ा हुआ है। इससे यह आशंका पैदा होती है कि इसके जरिए मुस्लिम मूल के नागरिकों को निशाना बनाया जाएगा। सीएए के नियमों को अधिसूचित करने को लेकर एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने भी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि आपको सीएए को एनआरसी और एनपीआर के साथ जोड़कर देखने की जरूरत है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने संसद में मेरा नाम लिया और कहा कि एनआरसी और एनपीआर लागू किया जाएगा। यह रिकॉर्ड में है। ओवैसी ने भाजपा को घेरते हुए कहा कि भाजपा का मुख्य उद्देश्य देश में एनपीआर और एनआरसी लागू करना है। सपा सांसद एसटी हसन ने भी भाजपा सरकार के सीएए लागू करने पर कहा कि 'यह सिर्फ लोगों को भ्रमित करने की रणनीति है। हमें इस पर कोई आपत्ति नहीं है कि लोगों को नागरिकता दी जाए, लेकिन इसे धर्म के आधार पर क्यों वर्गीकृत किया गया है? अहमदिया मुस्लिमों को इन देशों में प्रताड़ना झेलनी पड़ रही है। ऐसे में सरकार को सभी प्रताड़ित वर्गों को नागरिकता देनी चाहिए। सीएए सिर्फ एनआरसी का आधार है, जहां लोगों को ये घोषित करना पड़ेगा कि वे भारतीय हैं।'