पोहा पर अटपटा बोलकर फंस गए विजयवर्गीय

 25 Jan 2020  666

संवाददाता/in24 न्यूज़.  
इस देश में आजकल पोहा पर सियासत हो रही है. गौरतलब है कि पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस, विपक्षी पार्टी कांग्रेस और माकपा ने शुक्रवार को भाजपा नेता कैलाश विजयवर्गीय के पोहा खाने पर श्रमिकों की राष्ट्रीयता पर सवाल उठाने वाले बयान पर जवाबी हमला किया. पार्टियों ने कहा कि यह बयान कोई अलग बात नहीं है बल्कि वर्तमान भाजपा की जातिवादी और सांप्रदायिक बंटवारे की मानसिकता की झलक है. भाजपा महासचिव विजयवर्गीय ने बृहस्पतिवार को कहा था कि उनके घर पर काम करने वाले कुछ मजदूर बांग्लादेशी हो सकते हैं क्योंकि वे केवल पोहा खाते हैं. उनके इस बयान पर विवाद उठ खड़ा हुआ है. वरिष्ठ टीएमसी नेता और संसदीय मामलों के राज्य मंत्री तापस रॉय ने कहा कि इस तरह के जातिवादी और सांप्रदायिक बयान भाजपा की बंगाली विरोधी मानसिकता का प्रतिबिंब हैं. उन्होंने कहा कि हम सभी जानते हैं कि भाजपा एक बंगाली विरोधी पार्टी है. इस तरह के सांप्रदायिक बयान केवल उसी मानसिकता को दर्शाते हैं. भाजपा और उसके नेताओं को बंगाल, उसकी संस्कृति और खाने की आदतों के बारे में कुछ भी पता नहीं है और वे बंगाल पर राज करने का सपना देख रहे हैं. बंगालियों का अपमान करने के लिए वे जवाब दें. रॉय के बयान को माकपा पोलित ब्यूरो के सदस्य मोहम्मद सलीम ने समर्थन देते हुए कहा कि भाजपा देश की नस्लीय रूपरेखा बनाने की कोशिश कर रही है. उन्होंने कहा, सिर्फ रोटी नहीं खाने से कोई व्यक्ति बांग्लादेशी नहीं बन जाता है. पोहा एक ऐसा मुख्य आहार है जो नाश्ते के रूप में बहुत लोकप्रिय है. भाजपा क्या करने की कोशिश कर रही है? सलीम ने कहा कि पहनावे, खान-पान और जीवनशैली के आधार पर देश की नस्लीय रूपरेखा बनाने की कोशिश की जा रही है. उन्होंने यह भी कहा कि विजयवर्गीय की टिप्पणी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की टिप्पणी का सिर्फ एक विस्तार है कि नागरिकता कानून के तहत हिंसा में लिप्त लोगों की पहचान उनके पहनावे से की जा सकती है. पीएम नरेंद्र मोदी ने दिसंबर में झारखंड में एक रैली को संबोधित करते हुए कहा था कि जिन लोगों ने सीएए के विरोध प्रदर्शनों के दौरान सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाया था उन्हें उनके पहनावे से पहचाना जा सकता है.