कुष्ठ रोगियों को बचाने वाले पद्मश्री दामोदर गणेश बापट का निधन

 17 Aug 2019  1144

संवाददाता/in24 न्यूज़.   

कुष्ठ रोगियों के उपचार और उनके सामाजिक-आर्थिक उत्थान के लिए जीवनभर संघर्षरत रहे पद्मश्री दामोदर गणेश बापट का शुक्रवार देर रात निधन हो गया  वह लंबे समय से अस्पताल में भर्ती थे और उनका उपचार चल रहा था. देर रात करीब 2.35 बजे उन्होंने 87 वर्ष की आयु में अंतिम सांस ली भारतीय कुष्ठ निवारक संघ के संस्थापक सदस्य बापट मृत्यु के बाद भी अपना शरीर दूसरों की भलाई के लिए सौंप गए उनकी पार्थिव देह सिम्स बिलासपुर को दान की जाएगी। कुष्ठ रोगियों के लिए पूरा जीवन समर्पित करने वाले गणेश बापट को साल 2018 में पद्मश्री सम्मान से नवाज गया था. 42 साल से कुष्ठ रोगियों के लिए समर्पित बापट ने देहदान का संकल्प लिया था.  चांपा से 8 किमी दूर ग्राम सोठी स्थित आश्रम में कुष्ठ रोगियों की सेवा करते थे। इस कुष्ठ आश्रम की स्थापना सन 1962 में कुष्ठ पीड़ित सदाशिवराव गोविंदराव कात्रे द्वारा की गई थी. यहां पर वनवासी कल्याण आश्रम के कार्यकर्ता बापट सन 1972 में पहुंचे और कुष्ठ पीड़ितों के इलाज और उनके सामाजिक-आर्थिक पुनर्वास के लिए सेवा के अनेक प्रकल्पों की शुरूआत की.कुष्ठ रोग के प्रति लोगों को जागृत करने के अलावा कुष्ठ रोगियों की सेवा करने का कार्य प्रमुख रूप से दामोदर बापट ने किया है. इससे पहले वह आदिवासी बच्चों को पढ़ाते थे. मूल रूप से ग्राम पथरोट, जिला अमरावती, महाराष्ट्र निवासी दामोदर बापट ने नागपुर से बीए और बीकॉम की पढ़ाई पूरी की। बचपन से ही उनके मन में सेवा की भावना कूट-कूटकर भरी थी। यही वजह है कि वे करीब 9 वर्ष की आयु से आरएसएस के कार्यकर्ता बन गए। पढ़ाई पूरी करने के बाद बापट ने पहले कई स्थानों में नौकरी की, लेकिन उनका मन नहीं लगा। इसके बाद वे छत्तीसगढ़ के वनवासी कल्याण आश्रम जशपुरनगर पहुंचे और बच्चों को पढ़ाने लगे. इस बीच कुष्ठ रोगियों के संपर्क में आए और सदा के लिए यहीं के होकर रहे।