ट्विटर पर भीड़ गए पोलैंड के राजदूत और शिवसेना की उपनेता प्रियंका चतुर्वेदी, जानें माजरा

 01 Mar 2022  376
संवाददाता/ in24 न्यूज़

रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध के बाद वहां 20 हजार से अधिक भारतीय नागरिक फंसे हुए हैं, जिनमें से अधिकांश छात्र हैं जो वहां मेडिकल की पढ़ाई करने के लिए गए हैं. हालांकि भारत सरकार वहां से अपने नागरिकों को निकाल भी रही है. लेकिन भारत सरकार के प्रयासों को लेकर शिवसेना नेता प्रियंका चतुर्वेदी ने सवाल उठाए हैं. उन्होंने स्टूडेंट्स को यूक्रेन से सुरक्षित निकाले जाने की कोशिशों पर ट्वीट करके सवाल उठाए, अपने ट्वीट में उन्होंने भारत स्थित पोलैंड दूतावास को भी टैग किया। जिसके बाद पोलैंड के राजदूत ने उन्हें जवाब भी दिए. इस ट्वीटर वार में प्रियंका चतुर्वेदी और भारत में पोलैंड के राजूदत एडम बुराकोव्स्की के बीच कहासुनी हो गई.
राज्यसभा में शिवसेना की उपनेता प्रियंका चतुर्वेदी यूक्रेन में फंसे भारतीय नागरिकों की समस्याओ को लेकर लगातार ट्विट कर रही थीं. और सरकार से उनके मदद की गुहार लगा रही थीं. उन्होंने पोलैंड और लिथुआनिया के दूतावास और भारतीय विदेश मंत्रालय को टैग करते हुए एक ट्वीट कर लिखा कि, ''नमस्ते @IndiainPoland, बहुत से भारतीय स्टूडेंट्स को पोलैंड में घुसने से रोक दिया गया है. कुछ स्टूडेंट्स को, जिन्हें कल (रविवार को) अनुमति दी गई थी, उन्हें भी वापस भेज दिया गया है. इससे घर पर उनके माता-पिता डर गए हैं. ऑपरेशन गंगा (यूक्रेन से भारतीयों को निकालने के अभियान) और भारतीय विदेश मंत्रालय से अनुरोध है कि वे इसमें दख़ल दें.''
 
इसके बाद, भारत में पोलैंड के राजदूत एडम बुराकोव्स्की ने ​प्रियंका चतुर्वेदी के इस ट्वीट का जवाब दिया। उन्होंने लिखा कि, 'मैडम, यह बिल्कुल भी सच नहीं है. पोलैंड की सरकार ने यूक्रेन से लगती सीमा से घुसने से किसी को भी मना नहीं किया है.'कृपया, अपने संपर्क सूत्रों की जांच कर लें.'' बुराकोव्स्की ने प्रियंका से फ़ेक न्यूज़ न फैलाने का भी अनुरोध किया.


लेकिन बात यहीं थमी नहीं. देर रात क़रीब पौने 11 बजे प्रियंका चतुर्वेदी ने एक और ट्वीट किया. इस ट्वीट में उन्होंने एडम बुराकोव्स्की, भारत में पोलैंड और लिथुआनिया के दूतावास के साथ ऑपरेशन गंगा के ट्विटर हेल्पलाइन और भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची को भी टैग किया.

उन्होंने लिखा, ''श्रीमान, पूरे सम्मान के साथ कहती हूं कि जो आप कह रहे हैं, स्टूडेंट्स वही बात नहीं कह रहे हैं. यह बहुत दुर्भाग्य की बात है कि आपने इस ख़बर को फ़ेक न्यूज़ बताया है, लेकिन मुझे वहां फंसे हुए लोगों के नंबर और उनके नाम साझा करते हुए ख़ुशी होगी. और मैं तारीफ़ करूंगी यदि फ़ेक न्यूज़ का हल्ला करने से पहले ख़बर की तह तक जाने की ज़रूरी तहज़ीब दिखाई जाती. धन्यवाद!''

चतुर्वेदी के बाद इस ट्वीट के जवाब में भारत में पोलैंड के राजदूत बुराकोव्स्की ने फिर से लिखा, ''और प्लीज़ मैडम! मैं मदद के लिए हमेशा तैयार हूं. मैं अपना नंबर यहां शेयर नहीं कर सकता, लेकिन प्लीज़ मुझे सीधा मैसेज़ भेजिए.''

उसके बाद प्रियंका चतुर्वेदी ने जवाब देते हुए फिर से लिखा कि, ''नहीं, मैं आपको सीधा मैसेज़ नहीं करूंगी. भारत में पोलैंड के दूतावास से मदद की मेरी गुहार पर बिना मेरा जवाब जाने आपने अभी इसे फ़ेक न्यूज़ क़रार दे दिया. मेरा नंबर और कॉन्टैक्ट डिटेल्स जगजाहिर है और आपके आरोप लगाने से पहले सारे तथ्य मेरे हाथों में है.''

उससे पहले एक अन्य ट्वीट में पोलैंड के राजदूत बुराकोव्स्की ने लिखा था, ''डियर मैडम, मुझे पूरा यकीन है कि ऐसा नहीं हुआ है. कॉन्टैक्ट्स के साथ सूची यहां साझा नहीं की जा सकती, इसलिए कृपया उसे पोलैंड में भारतीय दूतावास के साथ साझा करें, क्योंकि वे इस मामले को देख रहे हैं और वे फंसे हुए लोगों की मदद कर सकते हैं. हम एचई नगमा मलिक के लगातार संपर्क में हैं.''

प्रियंका चतुर्वेदी ने आगे लिखा, ''कभी भी मेरे देश और देशवासियों के प्रति निष्ठा पर सवाल मत कीजिए, जैसे मैं आपकी निष्ठा पर सवाल नहीं करूंगी.''

फिर इस ट्वीट का जवाब देते हुए राजदूत ने लिखा, ''डियर मैडम, रूस के हमले के बाद से अब तक सभी नेशनलिटी के क़रीब 3 लाख शरणार्थी यूक्रेन से पोलैंड की सीमा में दाख़िल हो चुके हैं. उनमें से क़रीब 1,200 लोग भारत के नागरिक हैं, जबकि अभी कई और लोग आ रहे हैं. पोलैंड ज़रूरत चाहने वालों की मदद करता है. हमारे अधिकारी भारत के अधिकारियों के साथ सहयोग कर रहे हैं.''
 
आपको बता दें कि भारतीय विदेश मंत्रालय ने सोमवार को जानकारी दी थी कि यूक्रेन से अब तक छह उड़ानों के ज़रिए 1,400 भारतीय नागरिकों को निकाला जा चुका है. जबकि विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने बताया कि, चार उड़ानें बुखारेस्ट (रोमानिया) और दो उड़ानें बुडापेस्ट (हंगरी) से भारत आई हैं. लोगों को निकालने की कोशिशों के दौरान ज़मीन पर परिस्थितियां बेहद जटिल और चिंताजनक हैं, लेकिन इस प्रक्रिया में तेज़ी लाई जा रही है और जब दिशा-निर्देश जारी किए गए थे, तब 8,000 भारतीय नागरिक यूक्रेन में थे.