जानिए 'सोने' से पहले चंद्रयान-3 ने क्या जानकारियां दीं

 03 Sep 2023  940

संवाददाता/in24न्यूज 

10 दिन तक चांद से जुड़े रहस्य सुलझाने की कोशिशों के बाद आखिर हमारा प्रज्ञान रोवर गहरी नींद में सो गया. चांद पर अब एक लंबी रात है और माइनस 200 के तापमान में प्रज्ञान रोवर और विक्रम लैंडर का काम करना मुमकिन नहीं है, लेकिन स्लीप मोड में जाने से पहले रोवर और लैंडर ने कई ऐसी जानकारियां हमें दे दी हैं, जिनसे मानवता का भला हो सकता है. 14 जुलाई को भारत ने अपना मिशन चंद्रयान-3 लॉन्च किया था. 40 दिन का सफर पूरा करने के बाद 23 अगस्त को चंद्रयान चांद के साउथ पोल पर उतरा और भारत एक झटके में उन विकसित देशों की कतार में शुमार हो गया, जिन्होंने चांद पर अपने मिशन उतारने में कामयाबी हासिल की थी. 10 दिन तक सटीक तरीके से जानकारी जुटाने के बाद प्रज्ञान रोवर ने अपना काम पूरा कर लिया है. इसे अब चांद के साउथ पोल पर सुरक्षित तरीके से पार्क कर दिया गया है, या यूं कहें कि अब ये चांद पर चैन की नींद सोएगा. इसको स्लीप मोड में सेट किया गया है. शिवशक्ति प्वाइंट पर रोवर और लैंडर दोनों के बीच 100 मीटर का फासला है. प्रज्ञान रोवर पर लगे दोनों पेलोड APXS और LIBS बंद कर दिए गए हैं. इन पेलोड ने जो डाटा जमा किया था, वो लैंडर के जरिए हम तक पहुंच गया है. हालांकि इसकी बैटरी अब भी पूरी तरह चार्ज है. ये भी मुमकिन है कि एक बार फिर ये अपना काम करना शुरू कर दे, ऐसा इसलिए क्योंकि रोवर को इस एंगल पर रखा गया है कि 22 सितंबर को जब चांद पर सूर्योदय हो तो सूरज की किरणें इसके सौर पैनलों पर पड़ें. ऐसा हुआ तो ये फिर काम कर सकता है. सूरज की रोशनी से हमारे रोवर और लैंडर पावर जनरेट कर सकते हैं, जो इनके उपकरणों के लिए जरूरी है. पावर के बिना इनमें लगे वैज्ञानिक उपकरण खराब हो सकते है. जिस शिवशक्ति प्वाइंट पर लैंडर उतरा था, उससे चलकर प्रज्ञान रोवर ने 100 मीटर का फासला तय किया है. इसरो ने वो तस्वीर भी जारी की है जिसमें चांद की सतह पर प्रज्ञान रोवर और लैंडर की ताजा लोकेशन दिख रही है. रोवर ने ये दूरी 10 दिन में तय की है. इसकी चलने की रफ्तार एक सेंटीमीटर प्रति सेकंड थी. ये जानना भी जरूरी है कि प्रज्ञान रोवर और विक्रम लैंडर ने इन 14 दिन में चांद पर क्या किया और क्या जानकारी जुटाई. 10 दिन में रोवर और लैंडर ने 5 अहम प्रयोग और परीक्षण किए. ऐसे तथ्य पता किए जो अब तक मालूम नहीं थे. इस दौरान चांद पर कैमिकल मिश्रण, मिट्टी के प्रकार और तापमान में बदलाव के पैटर्न पर ये जानकारी जमा की गई. सबसे अहम ये कि चांद पर भी भूकंप आते हैं. विक्रम लैंडर के एक पेलोड ने चंद्रमा पर आए भूकंप को रिकॉर्ड किया, जो वहां 26 अगस्त को आया था. चांद के साउथ पोल पर सल्फर, एल्युमीनियम, कैल्शियम, आयरन, क्रोमियम, टाइटेनियम की मौजूदगी का भी पता किया. चांद के साउथ पोल पर प्लाज्मा भी खोजा है, जो कम घना है. इसी तरह विक्रम लैंडर ने पता किया कि चांद की सतह पर करीब 50 डिग्री तापमान है. चंद्रमा की सतह और अलग-अलग गहराई पर तापमान में फर्क है. चांद पर फिलहाल रात है, जो धरती के 14 दिन के बराबर होगी. यहां पारा माइनस 200 डिग्री तक जा सकता है. इससे लैंडर और रोवर पर लगे उपकरण फ्रीज हो सकते हैं. जब चांद पर सूर्योदय होगा तो हो सकता है कि रोवर और लैंडर फिर से जाग जाएं, लेकिन अगर ऐसा नहीं हुआ तो चांद पर ये हमेशा के लिए भारत के खूबसूरत हस्ताक्षर के रूप में मौजूद रहेंगे.