विजयपथ पर चंद्रयान -2 अभियान
10 Sep 2019
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संवाददाता/in24 न्यूज़.
चंद्रमा पर चंद्रयान-2 के उतरने से पहले ही लैंडर विक्रम से संपर्क टूटने को इस अभियान की असफलता नहीं माना जाना चाहिए। चंद्रमा के जिस हिस्से (दक्षिणी ध्रुव) पर आज तक कोई नहीं पहुँचा, वहाँ सॉफ्ट लैंडिंग का हमारा बड़ा लक्ष्य अवश्य था, किंतु यह चंद्रयान-2 का एकमात्र लक्ष्य कतई नहीं था। मौटे तौर पर चंद्रयान मिशन के दो लक्ष्य थे। पहला- विज्ञान से जुड़ा और दूसरा- तकनीक का प्रदर्शन। लैंडिंग और रोवर मुख्यत: तकनीक प्रदर्शन के लिए थे। जबकि विज्ञान का बड़ा हिस्सा ऑर्बिटर से जुड़ा है, जो चंद्रमा की कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित हो गया है। यह सात वर्ष तक हमें चंद्रमा से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियां प्रदान करता रहेगा। इसलिए केवल हम ही नहीं, बल्कि दुनिया कह रही है कि चंद्रयान-2 अपने उद्देश्य में लगभग सौ प्रतिशत सफल रहा है। इस संबंध में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के प्रमुख डॉ. के. सिवन ने भी स्पष्ट किया है। उनके अनुसार ‘मिशन अपने अधिकतर उद्देश्यों में सफल रहा है। इसरो अपने मिशन की सफलता को लेकर आश्वस्त है। चंद्रयान-2 को 99.5प्रतिशत सफल माना जा सकता है।’ उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि लैंडर और रोवर का चंद्रमा की सतह पर 14 दिन का ही मिशन था। इस मिशन का महत्वपूर्ण हिस्सा तो ऑर्बिटर से ही जुड़ा है। भावुकता छोड़ कर विज्ञान के लिहाज से देखें तो भारत के हिस्से बड़ी सफलता आई है।