कदम चूम लेती है खुद बढ़ के मंज़िल, मुसाफिर अगर अपनी हिमत न हारे

 02 Aug 2022  1227
 
 
संवाददाता/in24 न्यूज़
 

किसी ने सच ही कहा है कि, यदि इच्छाशक्ति यदि प्रबल हो तो इंसान क्या नहीं कर सकता. जी हां, इंसान किसी चीज को एक बार अपने मन मे ठान ले, तो फिर उसके लिए इस धरती पर कुछ भी असंभव नहीं होता. यह भी सच है कि जितना कठिन संघर्ष होगा, जीत उतनी ही शानदार होगी. इंसान के भीतर ऊर्जा का असीम स्रोत है, लेकिन सभी उसे पहचान नहीं पाते. आज हम बात करेंगे, मुंबई के रहने वाले एक ऐसे व्यक्ति की, जिसने दिव्यांग होने के बाद भी अपना हौसला नहीं खोया. हम बात कर रहे हैं मितेश की, जो एक दिव्यांग हैं, जिनके बुलंद इरादों से आवश्यकता है आज की युवा पीढ़ी को प्रेरणा लेने की. एक हाथ नहीं होने के बाद भी मितेश ऐसी पाव भाजी तैयार करते है कि उसका स्वाद चखने के लिए दूरदराज से लोग मितेश की पाव भाजी खाने के लिए आते हैं. किसी भी परिस्थिति में पूरी मेहनत और लगन के साथ मितेश प्यारेलाल गुप्ता अपनी दुकान चलाते हैं, जिससे होने वाली कमाई से वह अपने परिवार का गुजर-बसर करते हैं. मुंबई के मलाड पूर्व में स्थित है प्यारेलाल की पाव भाजी, जो मितेश के पिता के नाम पर प्रख्यात है, लेकिन पिता के बाद मितेश ने अपने भाई हितेश के साथ मिलकर इस पावभाजी के स्टॉल को अपने हाथ मे लिया. गौर करने वाली बात ये है कि जब घर चलाने के लिए उनके पास कोई दूसरा चारा नहीं रहा, तब पर भी उन्होंने किसी के आगे हाथ नहीं फैलाया. एक हाथ नहीं होने के बाद भी मितेश जो पाव भाजी बनाते है, उसका कोई मुकाबला नहीं. देखते ही देखते मालाड पूर्व स्थित प्यारेलाल गुप्ता की पाव भाजी मितेश प्यारेलाल गुप्ता के नाम से प्रसिद्ध हो गई .