नेशनल हाईवे के किनारे नहीं होगी शराब की दुकाने !
02 Jan 2017
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ब्यूरो रिपोर्ट / in24 न्यूज़
नेशनल हाइवे और स्टेट हाईवे से तकरीबन 500 मीटर के अंतराल पर अब नहीं होगी शराब की दुकाने ! जी हां, सुप्रीम कोर्ट ने अपने अहम फैसले में कहा कि अब राजमार्गों पर शराब की बिक्री नहीं होगी। जिनके पास लाइसेंस हैं वो खत्म होने तक या 31 मार्च 2017 तक अपनी दूकान चला सकते हैं यानी एक अप्रैल 2017 से हाईवे पर शराब की दुकानें नहीं होंगी। शराब की दुकानों के लाइसेंसों का नवीनीकरण अब नहीं होगा साथ ही नए अब लाइसेंस जारी नहीं होंगे। आगे से सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में यह फैसला लागू होगा। इसके अलावा राजमार्गों के किनारे लगे शराब के सारे विज्ञापन और साइन बोर्ड भी हटाए जाएंगे। राज्यों के मुख्य सचिव और डीजीपी की निगरानी में सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का पालन किया जायेगा। आपको ज्ञात हो कि सुप्रीम कोर्ट ने याचिका दायर कर ये गुहार लगायी गयी थी कि उत्पाद कानून में संशोधन करने का निर्देश दिया जाए जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि हाईवे के किनारे शराब की बिक्री न हो सके।
हर साल सड़क दुर्घटनाओं में करीब डेढ़ लाख लोगों की मौत हो जाती है जिस पर चिंता जताते हुए सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही कह दिया था कि वह राष्ट्रीय और राज्य राजमार्गों के किनारे शराब के ठेके बंद करने का आदेश जारी कर सकती है। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस टीएस ठाकुर की अध्यक्षता वाली पीठ ने सुनवाई के दौरान पंजाब सरकार को कड़ी फटकार लगाई। दरअसल पंजाब सरकार का कहना था कि यदि राजमार्ग एलिवेटेड हो तो उसके नीचे या करीब शराब के ठेके खोलने की इजाजत दी जाए। पंजाब सरकार की इस दलील पर पीठ ने कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा कि, 'आप यह गौर कीजिए कि कितने लोगों को आपने लाइसेंस दे रखा है।' चूंकि शराब लॉबी बहुत पावरफुल है इसलिए सभी खुश हैं। एक्साइज विभाग खुश है, एक्साइज मंत्री खुश हैं और राज्य सरकार भी खुश है क्योंकि वह पैसे बना रही है।
पीठ ने राज्य सरकार से कहा कि यदि दुर्घटना में लोगों की मौत होती है तो आप पीडि़त परिवारों को बस एक से डेढ़ लाख रुपये मुआवजा देते हैं। पीठ ने यह भी कहा कि आपको समाज के हितों को ध्यान में रखते हुए अपना पक्ष रखना चाहिए। पीठ ने कहा कि राज्य सरकार शराब विक्रेताओं की भाषा बोल रही है। हर वर्ष डेढ़ लाख लोगों की सड़क दुर्घटनाओं में मौत होती है। न्यायपालिका का कहना है कि आप आम लोगों के हितों को ध्यान में रखते हुए कुछ कीजिए। साथ ही पीठ ने राज्यों द्वारा राजमार्गों के बगल से ठेके हटाने के काम में बरती जा रही उदासीनता पर भी नाराजगी जताई। पीठ ने कहा कि शराब पीने से वाहन चलाने के कारण दुर्घटनाओं में इजाफा हुआ है। पीठ ने कहा कि राजस्व के लिए राज्यों द्वारा राज्यमार्गों के अगल-बगल शराब का लाइसेंस देने को जायज नहीं ठहराया जा सकता और इसका कोई कारण भी नहीं हो सकता इसलिए अथॉरिटी को पॉजिटिव सोच के साथ काम करना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में केंद्र सरकार की भी खिंचाई की।
पीठ ने कहा कि भारत सरकार अब कह रही है कि राष्ट्रीय और राज्य के सभी राजमार्गों के किनारे से शराब के ठेके को हटा दिया जाना चाहिए। पिछले 10 वर्षों में कुछ नहीं हुआ, लिहाजा हमें इस गंभीर मामले में दखल देना पड़ा। सुनवाई के दौरान यह भी दलील दी गई कि लोगों को शराब खरीदने के लिए दूर जाना पड़ता है, इस पर कोर्ट ने तंज कसते हुए कहा कि तो आप शराब की 'होम डिलीवरी करा दीजिए। कुल मिलाकर शराब की दुकानों को राजमार्गों के किनारे से हटाने का फैसला सुप्रीम कोर्ट ने ले लिया है और अब सभी राज्यों की सरकारों को इस फैसले पर अमल करना होगा।