यूनिवर्सिटी का फर्जी सर्टिफिकेट बनाने वाले गिरोह का भंडाफोड़, 2 गिरफ्तार

 21 Jan 2022  490

संवाददाता/ in24 न्यूज़

देश की आर्थिक राजधानी मुंबई (mumbai) में यूनिवर्सिटी (univercity) का फर्जी सर्टिफिकेट (fake certificate) देने वाला गिरोह पूरी तरह से सक्रिय हो चुका है, जिस का पर्दाफाश किया है मुंबई पुलिस की क्राइम यूनिट 11 की टीम ने। मुंबई पुलिस की अपराध शाखा से मिली जानकारी के मुताबिक जो विद्यार्थी परीक्षाओं में फेल हो जाते हैं, या फिर जिनकी डिग्री की पढ़ाई अधूरी रह जाती है, उन्हें इस कुख्यात गिरोह के सदस्य उनके जरूरत के मुताबिक फर्जी डिग्री तैयार करके देते हैं और उसके एवज में लाखों रुपए ऐंठ लेते हैं. फर्जी सर्टिफिकेट के इस गोरखधंधे में तथाकथित नटवरलाल मॉन्स्टर और क्वीकर ऐप का इस्तेमाल करते थे. जब भी किसी से संपर्क से करना होता था यह इसी ऐप का सहारा लेते थे. मुंबई पुलिस की क्राइम यूनिट 11 की टीम द्वारा गिरफ्तार किए गए आरोपियों का नाम है प्रीतेश सोहन लाल जैन (34) और रवि प्रकाश वीरेंद्र मौर्य (26). इन दोनों आरोपियों की गिरफ्तारी मुंबई के बोरीवली पूर्व इलाके से हुई है. मुंबई पुलिस से मिली जानकारी के मुताबिक यह शातिर नटवरलाल प्राइम सफायर एजुकेशन कंसल्ट के नाम से ऑफिस चला रहे थे. यही नहीं इन आरोपियों के पास से कर्नाटका स्टेट यूनिवर्सिटी, साबरमती यूनिवर्सिटी, एपीजे अब्दुल कलाम यूनिवर्सिटी, सत्य साईं यूनिवर्सिटी, और हिमालया यूनिवर्सिटी के सर्टिफिकेट बरामद किए गए हैं, जो पूरी तरह से बनावटी और फर्जी है। अब तक इन शातिर ठग बाजो ने 50 से अधिक लोगों को फर्जी सर्टिफिकेट देकर उनसे मोटी कमाई की है और शिक्षा के मंदिर को कलंकित करने की कोशिश की है. क्राइम ब्रांच के डीसीपी संग्राम सिंह निशानदार की यदि माने, तो पुलिस को अपने मुखबिर द्वारा महत्वपूर्ण सूचना मिली थी कि कुछ लोग एक से दो लाख रुपए लेकर यूनिवर्सिटी का सर्टिफिकेट बेच रहे हैं, जिसके बाद क्राइम ब्रांच की टीम ने इंफॉर्मेशन नेटवर्क को और डिवेलप किया और खुद एक फर्जी व्यक्ति भेज कर सर्टिफिकेट की पहले आधिकारिक तौर से पुष्टि की, जिसके लिए क्राइम ब्रांच ने खुद एक लाख रुपए खर्च कर अपने द्वारा भेजे गए व्यक्ति के नाम पर सर्टिफिकेट बनवाया. इन शातिर नटवरलालों ने जैसे ही पैसे लेकर सर्टिफिकेट दिए, वैसे ही पुलिस ने इन्हें रंगे हाथ धर दबोचा। अब मुंबई पुलिस यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि इस गिरोह के जाल कहां तक फैले हुए हैं और इस गिरोह में कुल कितने सदस्य शामिल है, जो पैसे लेकर किसी भी डिग्री की फर्जी सर्टिफिकेट देने का काम करते हैं. फिलहाल दोनों आरोपियों को माननीय न्यायपालिका ने 27 जनवरी तक के लिए पुलिस रिमांड पर भेज दिया है, आगे की जांच जारी है.