तीन बहनों ने मिलकर बनाई थी सामूहिक मौत की योजना

 11 Aug 2020  487

संवाददाता/in24 न्यूज़.  
एक ही परिवार के 12 सदस्यों में से 11 की मौत का मामला टूल पकड़ता जा रहा है. बता दें कि पाकिस्तान से विस्थापित हाेकर छह साल पहले राजस्थान के जोधपुर के गांव लोड़ता आए एक परिवार के 12 में से 11 लोगों की सामूहिक मौत से हड़कंप मचा हुआ है। तीन बहनों ने मिलकर इस सामूहिक मौत को अंजाम दिया. सोमवार को सभी शवों का पोस्टमार्टम कराया गया। पोस्टमार्टम रिपोर्ट से तो यह साफ हो गया है कि सभी को जहर का इंजेक्शन दिया गया था। 11 पाक विस्थापितों की सामूहिक मौत की स्क्रिप्ट परिवार की तीनों बेटियों ने मिलकर लिखी थी। पुलिस के रिपोर्ट के अनुसार, पुलिस और केवलराम के ससुरालवालों की प्रताड़ना से तंग आकर 25 साल की अविवाहित नर्स बेटी प्रिया ने अपनी दो बहनों सुमन (22) और लक्ष्मी (40) के साथ मिलकर पूरे परिवार के साथ खुदकुशी करने की योजना बनाई थी। जानकारी के मुताबिक, प्रिया ने पहले परिवार के दस लोगों को जहर का इंजेक्शन दिया और बाद में खुद भी जान दे दी। इतना ही नहीं भाई केवलराम को उसने नींद की गोलियां देकर खेत में रखवाली करने भेज दिया था। परिवार का यही एक सख्श जिंदा बचा है। जब वह रविवार सुबह खेत से लौटा तो 11 परिजनों को उन्होंने मृत पाया। बता दें कि सामूहिक सुसाइड करने वाला यह परिवार बुधाराम भील का है, जो साल 2015 में पाकिस्तान से बतौर हिंदू शरणार्थी बनकर भारत आया और जोधपुर के लोड़ता गांव में बस गया। और यहां पर खेती में काम करके गुजर-बसर कर रहा था। सामूहिक सुसाइड मामले में पुलिस को एक सुसाइड नोट मिला है। सुसाइड नोट में इस बात का उल्लेख है कि प्रिया पर केवलराम के मूक-बधिर साले के साथ जबरन शादी करने का दबाव बनाया जा रहा था। सुसाइड नोट में इस बात का भी जिक्र है कि दोनों भाइयों केवलराम और रवि का अपनी-अपनी पत्नियों से झगड़ा होते रहता था दोनों के संबंध अच्छे नहीं थे। क्योंकि दोनों भाइयों पर उसकी पत्नियों ने घरेलू हिंसा सहित कई मुकदमे दर्ज करा रखे थे। लेकिन पुलिस कोई कार्रवाई नहीं कर रही थी। इन सब चीजों से पूरा परिवार परेशान रहता था। पुलिस बदा और भाई बागसिंह दोनों से पूछताछ कर रही है। क्योंकि इन दोनों के नाम सुसाइड नोट में जिक्र किया गया है। जिसमें लिखा है, बदा और बागसिंह जी, 30/07/2020 को मंडोर पुलिस ने मुझे कुछ गलत इंजेक्शन दिया था। पाक से हम बचने के लिए भारत आए थे, जिंदगी बचाने के जगह-जगह लिए छुपे फिरत रहते थे। बागसिंह जी हम आपसे नहीं मिले। बहरहाल इस सामूहिक मौत ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं.