111 साल का हुआ बिहार राज्य, इस बार की थीम 'युवा शक्ति बिहार की प्रगति'

 22 Mar 2023  783
ब्यूरो रिपोर्ट/in24न्यूज़
 
   बिहार राज्य की स्थापना हुए आज करीब 111 साल हो गए. 22 मार्च 1912 को बिहार बंगाल से अलग होकर अपने नए स्वरूप में सामने आया था. बिहार पहले बंगाल राज्य का हिस्सा था, लेकिन लगभग 111 साल पहले बंगाल से बिहार अलग हो गया. इस मौके पर बिहार की जनता 111 साल पूरे होने का जश्न बिहार दिवस के रूप में मना रही है. इस बार स्थापना दिवस के मौके पर बिहार की थीम है, "युवा शक्ति बिहार की प्रगति." आपको बता दें कि साल 2005 में जब बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बने थे, तब उन्होंने बिहार के गौरवशाली इतिहास को दुनिया के सामने लाने के लिए 'बिहार दिवस' मनाने की घोषणा की थी. जिसके बाद साल 2008 में बड़े पैमाने पर बिहार की राजधानी पटना के गांधी मैदान में बिहार दिवस मनाया गया. साल 2008 से शुरू हुआ यह सिलसिला आज भी लगातार जारी है. इस साल पूरे राज्य में 3 दिनों तक बिहार दिवस मनाया जायेगा और इसके उपलक्ष में अनेकों कार्यक्रमों का आयोजन भी किया गया है. सिर्फ बिहार ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी बिहार के रहने वाले बिहारी अपने बिहार दिवस को मनाने के लिए अनेक कार्यक्रमों का आयोजन कर रहे हैं. इसमें क्या बच्चे, क्या बूढ़े, क्या जवान सबके सब बिहार दिवस के रंग में रंगने को आतुर हैं. छोटे से छोटे और बड़े से बड़े कलाकार बिहार दिवस में अपना सहयोग देने के लिए दिन रात एक कर चुके हैं. बिहार दिवस का सुरूर लोगों के सर पर चढ़कर बोल रहा है. साल 1912 से पहले बिहार बंगाल का हिस्सा था, लेकिन दोनों राज्यों की भाषा अलग होने के कारण बिहारियों की उपेक्षा होती रहती थी. नौकरी से लेकर व्यापार और अन्य तरह के आयोजनों में भी बिहारियों को अर्जी नहीं दी जाती थी. हर जगह बंगालियों को इज्जत दी जाती थी, जिसके बाद से धीरे-धीरे हिंदी भाषियों में असंतोष बढ़ता गया. हिंदी भाषी लोग अपने हक की लड़ाई के लिए आवाज उठाने लगे. नौबत यहां तक आ गई कि अंग्रेजों के बनाए पटना कॉलेज को बंद करने पर विचार किया जाने लगा और साल 1872 में जार्ज कैंपबेल ने ये फैसला भी ले लिया था. साल 1960 में कांग्रेस ने अपना प्रांतीय अधिवेशन बुलाया, जिसमें बिहार को अलग प्रांत बनाने की घोषणा की गई. इसके लिए एक कमेटी का गठन किया गया. दरभंगा के महाराज रामेश्वर सिंह इस कमेटी के अध्यक्ष बने और अली इमाम को इस कमेटी का उपाध्यक्ष बनाया गया. जिसके परिणामस्वरूप 12 दिसंबर 1911 को बिहार को अलग राज्य की मान्यता मिल गई. 22 मार्च 1912 को बिहार बंगाल और उड़ीसा से अलग हो गया और उसकी राजधानी पटना घोषित कर दी गई. बिहार का नाम बौद्ध विहारों के विहार शब्द से पड़ा. जबकि विकृत रूप से विहार के स्थान पर उसे बिहार नाम से संबोधित किया जाता था. इस वजह से राज्य का नाम पहले विहार और उसके बाद बिहार पड़ा. बिहार का इतिहास काफी गौरवशाली रहा है. हिंदू पुराणों के अनुसार माता सीता का जन्म बिहार के मिथिला जिले के सीतामढ़ी में हुआ था. वहीं दूसरी तरफ बुध और जैन धर्म की उत्पत्ति भी बिहार से ही हुई थी. पहले बिहार को मगध के नाम से भी जाना जाता था, वहीं दुनिया का सबसे पुराना विश्वविद्यालय नालंदा यूनिवर्सिटी भी बिहार में ही मौजूद है. शून्य की खोज भी बिहार की धरती से हुई. और शून्य की खोज करने वाले आर्यभट्ट भी बिहार में ही पैदा हुए थे. देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद भी बिहार के सिवान जिला के रहने वाले थे. कुल मिलाकर बिहार राज्य के 111 वें स्थापना दिवस की पूरे राज्य में धूम मची हुई है, हर कोई इस जश्न को अपने तरीके से मनाना चाहता है. आगामी तीन दिनों तक बिहार में हर तरफ जश्न ही जश्न दिखाई देगा.