गुजरात में 9 और 14 दिसंबर को मतदान, 18 को आएंगे नतीजे 

 25 Oct 2017  1284
ब्यूरो रिपोर्ट / in24 न्यूज़

गुजरात विधानसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान को लेकर उठ रहा विवाद आख़िरकार शांत हुआ और विधानसभा चुनावी तारीखों का ऐलान हो गया. दो चरणों में चुनाव होंगे. इसके साथ ही बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह और देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए बेहद महत्वपूर्ण टेस्ट की शुरुवात भी हो गयी. पहले दौर में 89 सीटों पर 9 दिसंबर को और दूसरे दौर में 93 सीटों पर 14 दिसंबर को मतदान होगा. नतीजे 18 दिसंबर को आएंगे. इसी दिन हिमाचल प्रदेश चुनाव के भी नतीजे आ रहे हैं. गुजरात में 182 सीटों पर चुनाव होना है. 4 करोड़ 33 लाख मतदाता वहां मतदान करेंगे. 50, 128 मतदान केंद्र बनाए जाएंगे.

मतदान से 7 दिन पहले मतदाता के घर वोटिंग स्लिप पहुंचाई जाएगी. चुनाव में VVPAT का इस्तेमाल होगा. अभी से ही गुजरात में आचार संहिता लागू कर दी जाएगी. 102 बूथों पर महिला पोलिंग स्टाफ होगा. बॉर्डर चेकपोस्ट पर सीसीटीवी कैमरे से निगरानी होगी. सभी बड़ी चुनावी रैलियों की वीडियो रिकॉर्डिंग होगी. प्रत्येक प्रत्याशी 28 लाख रुपये खर्च कर सकता है. हर उम्मीदवार को एक अलग बैंक अकाउंट खोलना होगा. गौरतलब है कि गुजरात विधानसभा का कार्यकाल 23 जनवरी को खत्म हो रहा है.

इससे पहले जब चुनाव आयोग ने हिमाचल प्रदेश में चुनाव की तारीखों का ऐलान किया था, तब ये सवाल उठे थे कि गुजरात चुनाव की तारीखें क्यों नहीं बताई गईं. बाद में चुनाव आयोग ने कहा कि गुजरात के कुछ इलाकों में बाढ़ के बाद राहत का काम चल रहा है. इस काम में लगे लोगों की चुनाव में ड्यूटी लगा दी जाएगी तो राहत का काम प्रभावित होगा. 2012 में हिमाचल और गुजरात के चुनाव का ऐलान एक साथ किया गया था. गुजरात चुनाव की तारीखों के ऐलान में देरी पर जो चुनाव आयोग ने दलील दी थी कि राज्य में बाढ़ की राहत के काम की वजह से ऐलान देर से हुआ. जब इसकी पड़ताल की गई तो सच सामने आया, जो चौंकाने वाला है.

ज्यादातर जिलों के अधिकारियों ने बताया कि अगर बाढ़ आई भी थी तो वहां पर राहत का काम बहुत पहले पूरा कर लिया गया है. कुछ जिलों में तो बाढ़ आने की बात भी नहीं है, सिर्फ भारी बारिश होने की बात सामने आ रही है. दलित-ओबीसी नेता अल्पेश ठाकोर भी कांग्रेस में शामिल हो गए हैं. उन्होंने गुजरात में दलितों के बीच बहुत काम किया है जिसकी तारीफ भी होती. माना जाता है कि दलितों में उनका अच्छा खासा प्रभाव है हालांकि यह जानने के लिए चुनाव नतीजों का इंतजार करना होगा. दूसरी एक दूसरे दलित नेता जिग्नेश वाणी भी एक चेहरा बनकर उभरे हैं जिन्होंने उना कांड का काफी विरोध किया था.

हार्दिक पटेल सूरत में पाटीदारों के आरक्षण के लिए हुई रैली लाठीचार्ज के बाद बीजेपी को हटाने की कसम खा चुके हैं. बात करें इन तीनों नेताओं के प्रभाव की तो हार्दिक पटेल जिन पाटीदारों की बात कर रहे हैं उनकी संख्या गुजरात में 20 फीसदी है, इन्हें बीजेपी का परंपरागत वोट बैंक कहा जाता है. अल्पेश ठाकोर ओबीसी समुदाय से आते हैं. जिनकी संख्या 54 फीसदी है. गुजरात में ओबीसी वोटबैंक ही हर बार जीत सुनिश्चित करता है. वहीं जिग्नेश मेवानी दलित समुदाय से आते हैं जिनकी संख्या 6 फीसदी है.

मतलब साफ है कि अभी तक के समीकरण कांग्रेस के पक्ष में जाते दिखाई दे रहे हैं. लेकिन यह बात भी नहीं भूलनी चाहिए कि गुजरात 22 सालों से बीजेपी का गढ़ है. यहां का वोटर कितना भी नाराज हो वोट आखिर कमल को ही जाता है. इस बात को विपक्षी भी स्वीकार करते हैं. कांग्रेस के सामने अभी गुजरात में कई चुनौतियां हैं.