रामविलास पासवान के निधन से शोक में डूबी राजनीति

 09 Oct 2020  445

संवाददाता/in24 न्यूज़।
दिग्गज और अनुभवी राजनीतिज्ञ रामविलास पासवान की 74 साल की उम्र में निधन होने से राजनीतिक जगत में शोक छा गया है. बता दें कि केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान का लंबी बीमारी के बाद गुरुवार को दिल्ली के एक अस्पताल में निधन हो गया। उनके सम्मान में शुक्रवार को राजकीय शोक की घोषणा की गयी है और इस दौरान तिरंगा आधा झुका रहेगा। पटना में शनिवार को दीघा घाट पर उनका राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया जाएगा। पार्टी के प्रदेश कार्यालय में भी पार्थिव शरीर रखा जाएगा, जहां उनके समर्थक अंतिम दर्शन कर सकेंगे। समाजवादी आंदोलन के स्तंभों में से एक पासवान बाद के दिनों में बिहार के प्रमुख दलित नेता के रूप में उभरे और जल्दी ही राष्ट्रीय राजनीति में अपनी विशेष जगह बना ली। 1990 के दशक में अन्य पिछड़ा वर्ग के आरक्षण से जुड़े मंडल आयोग की सिफारिशों को लागू करवाने में पासवान की भूमिका महत्वपूर्ण रही। पासवान के निधन पर शोक जताते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि दुख बयान करने के लिए शब्द नहीं हैं; हमारे देश में ऐसा शून्य पैदा हुआ है जो शायद कभी नहीं भरेगा। उन्होंने अपने शोक संदेश में कहा कि श्री रामविलास पासवान जी का निधन व्यक्तिगत क्षति है। मैंने एक ऐसा मित्र और सहकर्मी खोया है जो पूरे जुनून के साथ हमेशा यह सुनिश्चित करना चाहता था कि प्रत्येक गरीब व्यक्ति सम्मानपूर्वक जीवन व्यतीत करे। पासवान कड़ी मेहनत और दृढ़ संकल्प के बल पर राजनीति में ऊपर आए। युवा नेता के रूप में आपातकाल के दौरान उन्होंने निरंकुशता और हमारे लोकतंत्र पर प्रहार का विरोध किया था। वह उत्कृष्ट सांसद और मंत्री थे, जिन्होंने विभिन्न नीतिगत क्षेत्रों में चिरस्थायी योगदान दिया है। मोदी ने ट्वीट किया कि पासवान जी के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम करना अभूतपूर्व अनुभव था। मंत्रिमंडल की बैठकों के दौरान उनके हस्तक्षेप हमेशा गहन सोच वाले और व्यावहारिक हुआ करते थे। राजनीतिक बुद्धिमत्ता से लेकर सुशासन तक, वह हर बात में विलक्षण थे। उनके परिवार और समर्थकों के प्रति संवेदनाएं। ओम शांति। केन्द्रीय मंत्रिमंडल के सहयोगियों, मुख्यमंत्रियों और राज्यपालों सहित तमाम नेताओं ने पासवान के निधन पर शोक जताया। खगड़िया में 1946 में जन्मे पासवान का चयन पुलिस सेवा में हो गया था लेकिन उन्होंने अपने मन की सुनी और राजनीति में चले आए। पहली बार 1969 में वह संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी की टिकट पर विधायक निर्वाचित हुए। वह आठ बार लोकसभा के सदस्य चुने गए और कई बार हाजीपुर संसदीय सीट से सबसे ज्यादा वोटों के अंतर से जीतने का रिकॉर्ड अपने नाम किया। समाज के वंचित तबके से जुड़े लोगों के मुद्दे उठाने में सबसे आगे रहने वाले पासवान जीमीनी स्तर के मंझे हुए नेता थे जिनके संबंध सभी राजनीतिक दलों और गठबंधनों के साथ हमेशा मधुर बने रहे। अपने राज्य के प्रति उनके समर्थन के कारण पांच दशक लंबे राजनीतिक करियर में वह हमेशा केन्द्र की सभी सरकारों में शामिल रहे। वह 1989 से अपने अंतिम समय तक जनता दल से लेकर, कांग्रेस और भाजपा नीत राजग जैसी भिन्न और विपरीत विचाराधाओं वाली सरकारों का हिस्सा रहे हैं। पासवान का गठबंधन सहयोग चाहे कोई भी रहा हो, उन्होंने हमेशा गर्व के साथ स्वयं को समाजवादी और धर्मनिरपेक्ष बताया। वह वी. पी. सिंह, एच. डी. देवे गौड़ा, इन्द्र कुमार गुजराल, अटल बिहारी वाजपेयी, मनमोहन सिंह और वर्तमान में नरेंद्र मोदी के मंत्रिमंडल में मंत्री रहे हैं। अधिकारियों ने बताया कि केन्द्रीय मंत्री के निधन पर शोक व्यक्त करने के लिए शुक्रवार को केन्द्रीय मंत्रिमंडल की बैठक रखी गई है। केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने बृहस्पतिवार देर रात घोषणा की कि केन्द्रीय मंत्री पासवान के निधन पर उनके सम्मान में शुक्रवार को दिल्ली, सभी राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों की राजधानियों में तिरंगा आधा झुका रहेगा। केन्द्रीय मंत्री का अंतिम संस्कार पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा। गृह मंत्रालय के प्रवक्ता ने बताया कि दिल्ली और राज्यों तथा केन्द्र शासित प्रदेशों की राजधानियों में, जहां हमेशा तिरंगा लहराता है, वहां नौ अक्टूबर को और उनके अंतिम संस्कार वाले दिन, जहां उन्हें अंतिम विदाई दी जाएगी राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका रहेगा। बता दें कि देर रात चिराग पासवान ने ट्वीट उनके निधन की खबर दी.