घटती जा रही है बिहार में महिला विधायकों की संख्या

 15 Oct 2020  536

संवाददाता/in 24 न्यूज़.

महिलाओं का राजनीति में आना अच्छा कदम माना जाता है. बिहार विधानसभा 2020 से पहले के बीते चार चुनावों की रूपरेखा और परिणाम देखें तो पाएंगे कि राज्य में महिला विधायकों के प्रतिशत में लगातार कमी आ रही है। बिहार में साल 2010 में महिला विधायकों की संख्या 34 थी, जो 2015 में घटकर 28 हो गई। 243 सदस्यों वाली विधानसभा में 2015 में महिला एमएलए (विधायकों) का प्रतिशत 11.5 प्रतिशत था, जबकि 2010 में उनका प्रतिशत 14 था। उल्लेखनीय है कि बीते विधानसभा चुनावों में महिला वोटरों का प्रतिशत 46 था। वहीं, चुनावों में महिलाओं ने पुरुषों के मुकाबले 7 प्रतिशत अधिक मतदान किया था। चुने गए 28 विधायकों में से 10 राष्ट्रीय जनता दल, नौ जनता दल यूनाइटेड, चार भारतीय जनता पार्टी और एक निर्दलीय थीं। बता दें कि इन निर्वाचित महिला विधायकों में से 25 ने पुरुष विधायकों को चुनाव में हराया था। बीते चुनावों में महागठबंधन ने महिला उम्मीदवारों को 10.3 प्रतिशत टिकट दिया था, जबकि एनडीए ने 9.5 फीसदी महिलाओं को टिकट दिया। राष्ट्रीय जनता दल ने 10 महिला उम्मीदवारों को चुनावी दंगल में उतारा था और सभी ने विजय प्राप्त की थी। जनता दल यूनाइटेड ने 10 उम्मीदवारों को चुनाव में उतारा था, जिनमें से नौ ने जीत हासिल की थी। वहीं, कांग्रेस ने 5 महिला प्रत्याशियों को टिकट दिया था, जिनमें से चार ने चुनाव में जीत हासिल की थी। भारतीय जनता पार्टी ने 14 महिला उम्मीदवारों को टिकट दिया था, जिनमें 4 ने जीत दर्ज की थी। 2015 की विधानसभा में महिलाओं का शैक्षिक स्तर 2010 की विधानसभा की तुलना में कम है। 2015 के विधानसभा चुनाव में 28 में से 8 महिलाएं अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी से बीस हजार से अधिक मतों से जीती थीं। महिला विधायकों में सबसे बड़ी जीत जनता दल यूनाइटेड की वीना कुमारी ने हासिल की थी। उन्होंने त्रिवेणीगंज से अनंत कुमार भारती को 52,400 मतों से हराया था।बिहार में 2020 के ये चुनाव तीन चरणों में होने जा रहे हैं। 28 अक्टूबर, 3 नवंबर और 7 नवंबर को मतदान होगा और चुनाव के नतीजे 10 नवंबर को आएंगे। बिहार में 28 अक्टूबर को पहले चरण में 71 सीटों पर वोटिंग होगी। 3 नवंबर को दूसरे चरण में 94 सीटों पर वोटिंग होगी और सात नवंबर को तीसरे चरण में 78 सीटों पर वोट डाले जाएंगे। बहरहाल, महिला विधायकों के प्रति राजनीतिक दलों ने अगर गंभीर कदम नहीं उठाए तो इसके परिणाम उलटफेर भी कर सकते हैं.