हैदराबाद नगर निगम के चुनावों में फैली कमल की खुशबू

 04 Dec 2020  620

संवाददाता/in24 न्यूज़.
कमल के फूल ने ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम के चुनावों में नई खुशबू पैदा कर दिया है. अंतिम चुनावी नतीजो में बीजेपी अभी तक तीसरे पायदान पर है। हालांकि इस बार बीजेपी ने टीआरएस को कड़ी टक्कर दे रही है। नतीजों चाहे जो हो लेकिन इन चुनावों में बीजेपी का उद्देशय सफल हो गया। दरअसल बीजेपी जीएचएमसी इलेक्शन के जरिए यह साबित करना चाहती थी कि तेलंगाना में अगर टीआरएस का कोई विकल्प है तो वो बीजेपी है। क्योंकि बीजेपी और एमआईएम भाई माने जाते हैं। हैदराबाद में कुल  150 सीटों पर जीएचएसी का इलेक्शन हुआ। अब तक के नतीजों अनुसार सत्तारूढ़ दल टीआरएस ने जहां 43 सीटों पर जीत हासिल कर ली हैं। वहीं एमआईएस ने 35 सीटों पर जीत हासिल कर ली है। हालांकि बीजेपी ने भी 31 सीटें जीतकर तीसरे पायदान पर हैं। बावजूद इसके बीजेपी ने नगर निगम की कुल 16  सीटों पर अब भी फाइट कर रही है। इस रिजल्ट ने साबित कर दिया है कि भगवा दल की मेहनत रंग लाई। दरअसल पिछले चुनाव में चार सीटों पर सिमटने वाली पार्टी ने इस बार के चुनाव तीसरे पोजिशन पर दिखाई दे रही है। बीजेपी ने लिए ने इस चुनाव के लिए शुरू से ही अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी। इस बार के चुनाव के लिए अमित शाह ने अपने सबसे खास रणनीतिकार भूपेंद्र यादव को इसकी कमान सौंपी थी। अमित शाह से लेकर  योगी आदित्यनाथ, नड्डा जैसे दिग्गजों ने चुनाव से पहले कैंपेनिग की थी। इस वजह से राजनीतिक विश्लेष्कों का मानना है कि अगर बीजेपी 30-35 सीटों पर जीत हासिल कर लेती है तो भी उसके लिए यह काफी बड़ा अचीवमेंट होगा। बता दें कि साल 2015 में हुए जीएचएस चुनाव में टीआरएस को 99 सीट पर विजय हासिल की थी जबकि असदुद्दीन ओवैसी  की पार्टी ने 44 सीटों पर जीत का परचम लहराने में कामयाब हुई थी। पिछले महीने में  ही में  तेलंगाना में दुब्बाका विधानसभा सीट पर उपचुनाव हुआ था।  इस सीट को टीआरएस का गढ़ कहा जाता है। क्योंकि इस सीट के पास वाली सीट से ही सीएम केसीआर चुनाव जीत चुके हैं। दरअसल इस सीट के सिटिंग विधायक का निधन हो जाने से खाली हो गई थी। टीआरएस ने उपचुनाव में दिवंगत विधायक की पत्नी को ही उम्मीदवार बनाया था। काफी  कोशिशों के बाद भी टीआरएस यह उपचुनाव हार गई और भाजपा को यहां से जीत मिली। इस वजह से भाजपा का मनोबल काफी उंचा हुआ। देश की नंबर वन पार्टी बीजेपी भले ही केंद्र की सत्ता का सुख भोग रही हो। लेकिन उसके लिए हमेशा से देश के दक्षिणि राज्य हमेशा चुनौती भरे रहे हैं, सिवाय एक कर्नाटक को छोड़कर बाकी के राज्यों जैसे  आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु, केरल में बीजेपी का प्रभाव बहुत कम है। पार्टी इन राज्यों में बड़े ही मुश्किल से गठबंधन के जरिए सत्ता में पहुंच पाती है। इसी ह से बीजेपी अपने मिशन इसलिए चुनाव में परचम लहराकर दक्षिण भारत के अभियान को मजबूत करना चाहती है। बता दें कि बीजेपी के लिए इतनी सीटों का आना बहुत बड़ी उपलब्धि के रूप में देखी जा रही है.