ठाकरे सरकार पर लटकी अदालती तलवार

 14 Dec 2020  568
ब्यूरो रिपोर्ट/in24न्यूज़/मुंबई
 

आर्थिक राजधानी की मेट्रो-3 परियोजना के लिए कांजूरमार्ग में 102 एकड़ जमीन एमएमआरडीए को हस्तांतरित किए जाने के जिला अधिकारी के फैसले पर प्रश्न चिन्ह लगा दिया है. जिलाधिकारी की आदेश में त्रुटि पाई जाने की बात कहते हुए माननीय न्यायाधीश ने जिलाधिकारी को आदेश दिया है कि वह अपने निर्णय को वापस ले और मामले की नए सिरे से सुनवाई की जाए, अन्यथा हम इसकी वैधता पर अपना फैसला सुनिश्चित करेंगे. मुंबई के आरे कॉलोनी में मेट्रो 3 परियोजना से संदर्भित कार्य शेड बनाए जाने का पर्यावरण प्रेमियों ने विरोध किया था, जिसके बाद महाराष्ट्र की महा विकास आघाड़ी सरकार ने मेट्रो कार के लिए मुंबई के कांजुरमार्ग में उसे स्थलांतरित करने का निर्णय लिया था. लेकिन यह निर्णय विवादों के भवर में फंस चुका है.

 
          केंद्र सरकार ने इस जमीन की मिल्कियत का दावा किया था, उसी तरह कोर्ट में इससे संदर्भित याचिका भी दायर की गई थी. उस पर मुख्य न्याय मूर्ति दीपंकर दत्ता और न्यायमूर्ति गिरीश कुलकर्णी की खंडपीठ ने आज सुनवाई की. न्यायपालिका ने जिलाधिकारी के जमीन हस्तांतरण करने के आदेश में त्रुटि होने की बात कही है. उक्त जमीन के संदर्भ में विवाद है और उस पर दीवानी कोर्ट में मामला लंबित है. ऐसी स्थिति में जमीन हस्तांतरण करने का आदेश देने से पहले जिलाधिकारी ने पक्षकारों की दलील नहीं सुनी. इस मामले में जिलाधिकारी द्वारा लिए गए फैसले पर कोर्ट ने आक्षेप लिया. मुंबई हाई कोर्ट का कहना है कि जिलाधिकारी अपने आदेश को पीछे ले और संबंधित पक्षकारों की सुनवाई करने के बाद ही कोई अंतिम फैसला ले. ऐसा संकेत खंडपीठ की ओर से राज्य सरकार को दिया गया. राज्य सरकार ने अपनी भूमिका स्पष्ट करने के लिए कोर्ट से समय मांगने की विनंती की, जिसके बाद कोर्ट ने बुधवार तक का समय राज्य सरकार की तरफ से पैरवी कर रहे वकील को दिया. वैसे महाराष्ट्र सरकार ने आरे कॉलोनी में हो रहे मेट्रो कार शेड के विरोध के चलते इसे मुंबई के कांजुर मार्ग इलाके में स्थलांतरित करने का फैसला लिया था जिसके बाद अब राज्य सरकार के फैसले को एक बड़ा झटका लगा है. मुंबई हाई कोर्ट के फैसले का महाराष्ट्र के विरोधी पक्ष नेताओं ने स्वागत किया है.