ईडी दफ्तर को बताया बीजेपी प्रदेश कार्यालय

 28 Dec 2020  1582
संवाददाता/in24न्यूज़/मुंबई

 

            प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के मुबई दफ्तर के दफ्तर के बाहर लगा एक बैनर इस समय चर्चा का केंद्र बना हुआ है. बताया जा रहा है कि राजनीतिक प्रतिद्वंदिता के चलते विरोधियों ने इस बैनर को ईडी ऑफिस के बाहर लगाया है. इस बैनर पर लिखा है बीजेपी कार्यालय ! दरअसल प्रवर्तन निदेशालय ने शिवसेना सांसद संजय राउत की पत्नी वर्षा राउत को पीएमसी बैंक धनशोधन मामले में पूछताछ के लिए 29 दिसंबर को तलब किया है. यह जानकारी ईडी अधिकारियों ने रविवार को दी. वर्षा राउत को मुंबई में केंद्रीय एजेंसी के समक्ष पेश होने के लिए जारी किया गया ईडी का यह तीसरा समन है. इससे पहले वर्षा राउत दो बार स्वास्थ्य आधार पर एजेंसी के समक्ष पेश नहीं हुई. पूछताछ के लिए उन्हें यह समन धनशोधन रोकथाम कानून (पीएमएलए) के प्रावधानों के तहत जारी किया गया है.

            गौरतलब है कि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के मुखिया शरद पवार, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेता प्रफुल्ल पटेल, शिवसेना के विधायक प्रताप सरनाईक और बीजेपी से एनसीपी में आए एकनाथ खडसे को भी इसके पहले प्रवर्तन निदेशालय द्वारा समन जारी किया गया था. अब शिवसेना के वरिष्ठ नेता और सांसद संजय राउत की पत्नी वर्षा राउत को ईडी के समक्ष पेश होने संबंधित समन जारी किया गया है, जिसके बाद महाराष्ट्र में सियासी भूचाल आ गया है. इन सब के पीछे बीजेपी का हाथ होने का आरोप शिवसेना के सांसद संजय राउत लगा रहे हैं. उनका आरोप है कि महाराष्ट्र की महा विकास आघाड़ी सरकार को गिराने के मकसद से ईडी द्वारा हमें परेशान करने का काम किया जा रहा है. संजय राउत ने शिवसेना भवन में आयोजित पत्रकार परिषद के दौरान यह जानकारी दी गौर करने वाली बात यह है कि जब संजय राउत शिव सेना भवन में पत्रकार परिषद ले रहे थे, तो उसी दौरान ईडी के मुंबई दफ्तर के बाहर लगा एक बैनर अचानक वायरल हो गया. पत्रकार परिषद के दौरान संजय राउत ने तीव्र प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि बीजेपी के कुछ नेता पिछले तीन महीने से लगातार ईडी दफ्तर का चक्कर लगा रहे थे और ईडी दफ्तर में दस्तावेजों को खंगाल रहे थे तो क्या यह समझा जाए कि उन्होंने ईडी दफ्तर को बीजेपी का प्रदेश कार्यालय बना लिया है ? अब यह बैनर किसने लगाया है इसकी जांच की जा रही है, लेकिन अप्रत्यक्ष रूप से यह माना जा सकता है इस बैनर को लगाने के पीछे राजनीतिक प्रतिद्वंदिता हो सकती है.