जल है तो कल है

 22 Mar 2018  2586


संवाददाता/in24 न्यूज़

जल ही जीवन है और यह नारा हम सब लगाते हैं। लेकिन दुर्भाग्यवश आज ऐसी विकट स्थिति पैदा हो गई है कि जल का संकट आ गया। 22 मार्च का दिन अंतराष्ट्रीय जल दिवस के रूप में मनाया जाता है। गौरतलब है इस दिवस के बारे में बहुत से लोगों को जानकारी नहीं है। जल संरक्षण पर कई करोड़ों रूपये आवंटित भी किए जाते हैं, उदहारण के तौर पर गंगा एक्शन प्लान लीजिये या फिर हाल ही की कुछ योजनाएं।

इस करोड़ों के खेल में आखिर जल की स्थिति क्या है ? आखिर क्यों पृथ्वी पानी होने का बावजूद प्यासी है? इसका साफ़ कारण है दूषित पानी और पर्याप्त संसाधन का नहीं होना। in24 न्यूज़ ने जब मुंबईकरों से इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया लेनी चाही तो उनका भी साफ़ कहना था आखिर समुद्र होने के बावजूद मुंबई प्यासी है।

मुंबईकरों ने सारा ठीकरा प्रशासन के सर फोड़ा और काफी हद्द तक उनका यह दावा सच भी था। आपको बता दें मुंबई को पानी मोदक सागर, तानसा, वैतरणा, भातसा, तुलसी जैसी नदियों से प्राप्त होता है। मीठी नदी जो मुंबई से ही गुजरती है, यदि उस नदी को नाला कहा जाए तो इसमें कोई भी अतिश्योक्ति नहीं होगी। क्योंकि मीठी नदी के नाम पर जो बड़ी-बड़ी बातें की गेन उसका कोई नतीजा सामने नहीं आ पाया.

जल संकट का प्रकोप इतना है कि केप टाउन दुनिया का पहला शहर है जहां पानी की संकट की वजह से आपातकाल तक घोषित हुआ। बताया यह भी जा रहा है कि तीसरा विश्व युद्ध भी जल के लिए ही होगा। अब सवाल उठना लाज़मी है कि सरकार और प्रशासन पर ठीकरा फोड़कर क्या नागरिक अपनी जिम्मेदारी से मुह मोड़ सकते हैं? क्या नागरिक जल संरक्षण के लिए कोई ठोस कार्य करने में असमर्थ हैं? वर्तमान की बदहाली देखकर प्यास में डूबे भविष्य की कल्पना सहज रूप से की जा सकती है. क्योंकि जल है तो कल है.