ट्रेन में यात्री की तबियत बिगड़ने से मौत

 28 Nov 2020  1199

संवाददाता/in24 न्यूज़.  
मौत कब और कहां आ जाए ये कोई नहीं कह सकता। पटना जंक्‍शन से ट्रेन पकड़ने के लिए पहुंचे एक परिवार के साथ शुक्रवार की रात कुछ ऐसा हुआ कि उन्‍हें अपनी सीट से उतकर दोबारा घर लौटना पड़ा। यह परिवार इस्लामपुर से हटिया जाने वाली इस्लामपुर हटिया स्पेशल ट्रेन से रांची जाने वाला था। पूरा परिवार ट्रेन में सवार भी हो चुका था और ट्रेन थोड़ी ही देर में खुलने वाली थी. जानकारी के अनुसार हटिया जाने वाली इस ट्रेन में बीके शरण नामक यात्री अपने परिवार के साथ बी-3 कोच के बर्थ संख्या 1 व 4 पर सवार हुए थे। ट्रेन में सवार होने के लिए इनका परिवार पहले ही प्लेटफाॅर्म संख्या नौ पर पहुंच गया था। ट्रेन आने के बाद सभी अपनी-अपनी सीट पर सवार हो गये। अभी वे अपने कोच में सवार ही हुए थे कि उनकी तबियत काफी खराब हो गई। उनकी तबियत खराब होते ही यात्रियों ने इसकी सूचना स्टेशन प्रबंधन व जीआरपी को दे दी। स्टेशन प्रबंधन की ओर से बार-बार चिकित्सक को इसकी सूचना दी गई। लोगों का कहना था कि काफी देर बाद तक भी चिकित्सक इलाज करने नहीं पहुंचे और यात्री ने बेचैनी से काफी छटपटाते-छटपटाते दम तोड़ दिया। बाद में उनके परिजन वापस पटना स्थित अपने आवास पर चले गए। वही प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार दोनों यात्री लगभग पौने नौ बजे रात में ही अपने बर्थ पर पहुंच गए थे। ट्रेन अभी प्लेटफाॅर्म पर ही खड़ी थी कि उनकी तबियत खराब हो गई। सीने में तेज दर्द होने लगा था। यात्रियों ने ही इसकी सूचना जीआरपी, स्टेशन प्रबंधक एवं आरपीएफ को दिया। इसके बावजूद कोई भी उन्हें देखने नहीं पहुंचा। जबकि प्लेटफार्म से सटे ही करबिगहिया में रेलवे का सुपर स्पेशिलियटी हास्पीटल भी है। इसके बावजूद कोई भी डाॅक्टर अटेंड करने नहीं पहुंचे। गौरतलब है कि यात्री की मौत के बाद ट्रेन के यात्रियों ने जमकर हंगामा भी किया। यात्रियों के सहयोग से बीके शरण को प्लेटफाॅर्म पर उतार लिया गया। इसी बीच ट्रेन खुल गई, जिससे हंगामा शांत हो गया। बाद में मृतक के परिवार के लोग भी पहुंच गए। जीआरपी ने शव को पोस्टमार्टम के लिए पीएमसीएच भेज दिया। रेलवे की इस अव्यवस्था पर सवाल उठने लगे हैं. यदि समय रहते मरीज को उपचार मिल जाता तो जान बच सकती थी.