'बिच्छू डॉक्टर' हुए पद्म भूषण से सम्मानित

 29 Jan 2022  468

संवाददाता/ in24 न्यूज़ 

अधिकांश डॉक्टरों का सपना होता है कि वह शहर की चकाचौंध में रह कर काम करे और खूब सारा पैसा कमाए। लेकिन 71 वर्षीय डॉ. हिम्मतराव बावस्कर जैसे बिरले लोग भी हैं, जिन्हें न तो शहर की चकाचौंध से कुछ लेनादेना है और न ही पैसों के होने या न होने से कुछ फर्क पड़ता है. अभी दो दिन पहले भारत सरकार द्वारा कई लोगों को पद्म भूषण पुरस्कार से नवाजा गया, जिनमे डॉ. हिम्मतराव बावस्कर भी शामिल हैं. भारत सरकार ने डॉ. हिम्मतराव बावस्कर के कार्यों को देखत हुए उन्हें पद्म भूषण पुरस्कार देकर सम्मानित किया। रायगढ़ के महाड जैसे ग्रामीण इलाके में लोगों का इलाज करने वाले डॉ. हिम्मतराव बावस्कर को लाल बिच्छू से होने वाली मौतों के बारे में शोध के लिए जाना जाता है। 

महाड जैसे ग्रामीण इलाके में लाल बिच्छू के डंक से तड़प कर मरना आम बात थी. मौतों के पीछे सबसे बड़ी वजह लोगों के बीच फैला अंधविश्वास था। जिसकी वजह से वह अस्पताल न आकर झाड़-फूंक करवाने में लग जाते थे और इसी वजह से अक्सर उनकी जान भी चली जाती थी। इन घटनाओं को देखते हुए डॉ. हिम्मतराव बावस्कर ने शोध करना शुरू किया और रिपोर्ट को हाफ़क़ीन इंस्टीट्यूट के पास भेजा। सालों की मेहनत के बाद आखिर इनकी शोध रंग लाइ और इन्होने अपने इलाज से लाल बिच्छू के डंक से होने वाली मौत को पूरी तरह से ख़त्म कर दिया।

अगर इनकी उपलब्धि के बारे में बात करें, तो डॉ बावस्कर के करीब 51 रिसर्च को साल 1982 में ब्रिटिश मेडिकल जर्नल द लांसेट में प्रकाशित किया जा चुका है, साथ ही महाराष्ट्र सरकार भी इन्हें सम्मानित कर चुकी है.पिछले 40 साल से ग्रामीण इलाके में प्रैक्टिस करने वाले डॉ बावस्कर का कहना है कि उन्होंने अपना जीवन गांवों में रहने वालों को समर्पित कर दिया है...