पुलिस में कर सकते हैं वीडियो रिकॉर्ड - हाई कोर्ट
30 Oct 2022
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संवाददाता/in 24 न्यूज़।
महाराष्ट्र में बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच ने सरकारी गोपनीयता अधिनियम के तहत दर्ज होने वाली एफआईआर पर अहम फैसला किया है। हाईकोर्ट की नागपुर पीठ ने कहा है कि पुलिस स्टेशनों को सरकारी गोपनीयता अधिनियम के तहत परिभाषित निषिद्ध स्थान में शामिल नहीं किया गया है। इसलिए पुलिस स्टेशन के भीतर वीडियो रिकॉर्ड करने को अपराध की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता। न्यायमूर्ति मनीष पिटले और न्यायमूर्ति वाल्मीकि की पीठ ने मार्च, 2018 में एक पुलिस स्टेशन के अंदर वीडियो रिकॉर्ड करने को लेकर सरकारी गोपनीयता अधिनियम के तहत एक व्यक्ति के खिलाफ दर्ज मामले को खारिज कर दिया। कोर्ट ने अपने आदेश में सरकारी गोपनीयता अधिनियम की धारा तीन और धारा 2(8) का हवाला दिया, जो निषिद्ध स्थानों पर जासूसी करने से संबंधित है। अदालत ने इस बात का जिक्र किया कि पुलिस स्टेशन इस अधिनियम में विशेष रूप से उल्लेखित निषिद्ध स्थान नहीं है। हाई कोर्ट ने कहा- सरकारी गोपनीयता अधिनियम की धारा 2(8) में निषिद्ध स्थान की जो परिभाषा दी गई है, वह प्रासंगिक है। यह एक संपूर्ण परिभाषा है, जिसमें किसी ऐसे स्थान या प्रतिष्ठान के रूप में पुलिस स्टेशन को शामिल नहीं किया गया है, जिसे निषिद्ध स्थान माना जाए।' इन प्रावधानों पर विचार करते हुए इस कोर्ट का मानना है कि कथित अपराध का मामला अर्जी दायर करने वाले व्यक्ति के खिलाफ नहीं बनता है।शिकायत के मुताबिक, व्यक्ति अपने पड़ोसी के साथ हुए विवाद के सिलसिले में अपनी पत्नी के साथ वर्धा पुलिस स्टेशन में गए थे। उपाध्याय ने पड़ोसी के खिलाफ एक शिकायत दर्ज कराई। वहीं, उपाध्याय के खिलाफ भी जवाबी शिकायत दर्ज कराई गई। उस वक्त पुलिस ने महसूस किया था कि उपाध्याय पुलिस स्टेशन में हो रही चर्चा का अपने मोबाइल फोन से विडियो रिकॉर्ड कर रहे थे,