दो रुपये के रिफंड के चक्कर में आईआरसीटीसी को चुकाने होंगे 2.43 करोड़ रुपए

 31 May 2022  501

संवाददाता/in24 न्यूज़.
सिर्फ दो रुपये के रिफंड के लिए राजस्थान के कोटा निवासी एक युवक ने लंबी लड़ाई लड़ी। अब दो रुपये के रिफंड के चक्कर में आईआरसीटीसी को 2.43 करोड़ रुपये चुकाने होंगे। आईआरसीटीसी करीब तीन लाख लोगों को ये पैसे चुकाएगी। खबरों के मुताबिक कोटा के सुजीत स्वामी ने दो रुपये कम रिफंड मिलने पर पांच साल तक लड़ाई लड़ी। अप्रैल 2017 में सुजीत ने दो जुलाई को यात्रा करने के लिए स्वर्ण मंदिर मेल में कोटा से नई दिल्ली के लिए टिकट बुक किया था। वेटिंग होने के कारण वो यात्रा नहीं कर पाए। ऐसे में उन्होंने 765 रुपए की कीमत वाला टिकट कैंसिल करवा दिया था। कैंसिल करवाने पर उन्हें 665 रुपए का रिफंड मिला। सुजीत का कहना है कि रेलवे को 65 रुपये की कटौती करनी चाहिए थी लेकिन 100 रुपए की कटौती की गई। वहीं रेलवे ने उनसे सेवा कर के रूप में 35 रुपए की अतिरिक्त राशि वसूल की। इसके बाद सुजीत ने आरटीआई लगाकर उपभोक्ताओं की जानकारी मांगी, जिनसे सेवा कर के रूप में 35 रुपये की कटौती की गई थी। पता चला कि करीब 2 लाख 98 हजार उपभोक्ताओं से प्रति यात्री 35 रुपए सेवाकर के रूप लिए गए। उसके बाद उन्होंने पचास से अधिक आरटीआई लगाई। इसके साथ ही रेलवे मंत्री, प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर सभी उपभोक्तओं को रिफंड करने की मांग की। मई 2019 में आईआरसीटीसी ने सुजीत के बैंक अकाउंट में 33 रुपये ट्रांसफर कर दिए लेकिन सुजीत का मानना था कि उन्हें 35 रुपये वापस मिलने चाहिए थे। जिसके बाद उन्होंने दो रुपये रिफंड पाने के लिए संघर्ष शुरू कर दी। उन्होंने आरटीआई लगाकर सभी उपभोक्तओं के पैसे लौटाने की मुहिम छेड़ दी। वो हर महीने आरटीआई लगाकर रिफंड की विवरण की जानकारी लेने लगे। फिर यह मामला रेलवे मंत्रालय के वित्त आयुक्त और सचिव भारत सरकार, रेलवे बोर्ड के डिप्टी डायरेक्टर पैसेंजर मार्केटिंग, आईआरसीटीसी, मिनिस्ट्री ऑफ फाइनेंस (रेवेन्यू) डिपार्टमेंट के सचिव और जीएसटी काउंसिल तक पहुंचा। सुजीत यहीं नहीं रुके। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, निर्मला सीतारमण और रेल मंत्री को कई ट्वीट किए। इसके बाद उनके प्रयास रंग लाए। एक दिन रेलवे अधिकारी ने फोन कर सभी उपभोक्ताओं को रिफंड अप्रूव होने की जानकारी दी। 30 मई को रेलवे बोर्ड ने सुजीत को रिफंड कर दिए। बाकी उपभोक्ताओं को भी रिफंड कर दिया जाएगा। उपभोक्ताओं की यह बड़ी जीत मानी जा रही है।