कच्चा दूध के सामने पैकेट का दूध स्वास्थ्य के लिए हानिकारक

 19 Oct 2019  1164

संवाददाता/in24 न्यूज़.  
दूध पीना स्वास्थ्य के लिए बेहद लाभदायक है. मगर कच्चा दूध के सामने प्लास्टिक पैकेट में बंद दूध बेहद खतरनाक और ज़हरीला होता है, ऐसा खुला सामने आया है. गौरतलब है कि देश में मिलने वाले कच्चे दूध से दोगुना जहरीला है पैकेज्ड दूध. खाद्य नियामक भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण ने देशभर में सर्वे के आधार पर यह चौंकाने वाला खुलासा किया है. कई प्रमुख ब्रांड के पैकेज्ड दूध और कच्चे दूध के नमूने निर्धारित गुणवत्ता और तय मानकों पर खरे नहीं उतरे हैं. प्रोसेस्ड मिल्क के 10.4 फीसदी नमूने सुरक्षा मानकों पर फेल रहे, जो कच्चे दूध (4.8 फीसदी) की तुलना में काफी अधिक हैं. इनमें एफ्लाटॉक्सिन- एम 1, एंटीबायोटिक व कीटनाशक जैसे जहरीले पदार्थ मिले हैं. प्रोसेस्ड दूध में एफ्लाटॉक्सिन अधिक है. एफ्लाटॉक्सिन का पशु आहार में इस्तेमाल होता रहा है. तामिलनाडु, दिल्ली, केरल, पंजाब, यूपी, महाराष्ट्र और उड़ीसा के लिए सैंपल में एफ्लाटॉक्सिन मिला है. मध्य प्रदेश , महाराष्ट्र यूपी, आंध्रप्रदेश और गुजरात के सैंपलों में एंटीबायोटिक अधिक मिले हैं. कई प्रमुख ब्रांड के पैकेज्ड दूध (प्रोसेस्ड मिल्क) और कच्चे दूध के नमूने निर्धारित गुणवत्ता और तय मानकों पर खरे ने नहीं उतरे हैं. खाद्य नियामक भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण के अध्ययन में यह खुलासा हुआ है. इसके मुताबिक, गुणवत्ता मानकों पर प्रोसेस्ड दूध के 2,607 नमूनों में से 37.7 फीसदी फेल हो गए. वहीं, कच्चे दूध के 3,825 नमूनों में से 47 फीसदी मानकों के मुताबिक नहीं थे. सुरक्षा मानकों की बात करें तो प्रोसेस्ड दूध के 10.4 फीसदी नमूने फेल रहे, जो कच्चे दूध (4.8 फीसदी) की तुलना में काफी अधिक है. हालांकि कुल नमूनों में केवल 12 में ही मिलावट पाई गई, जिनमें से ज्यादातर तेलंगाना के थे. देश में मिलने वाले कच्चे दूध से दोगुना जहरीला है पैकेज्ड दूध. खाद्य नियामक भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई ) ने देशभर में सर्वे के आधार पर यह चौंकाने वाला खुलासा किया है. कई प्रमुख ब्रांड के पैकेज्ड दूध (प्रोसेस्ड मिल्क) और कच्चे दूध के नमूने निर्धारित गुणवत्ता और तय मानकों पर खरे नहीं उतरे हैं. प्रोसेस्ड मिल्क के 10.4 फीसदी नमूने सुरक्षा मानकों पर फेल रहे, जो कच्चे दूध (4.8 फीसदी) की तुलना में काफी अधिक हैं. इनमें एफ्लाटॉक्सिन- एम 1, एंटीबायोटिक व कीटनाशक जैसे जहरीले पदार्थ मिले हैं. प्रोसेस्ड दूध में एफ्लाटॉक्सिन अधिक है. एफ्लाटॉक्सिन का पशु आहार में इस्तेमाल होता रहा है. तामिलनाडु, दिल्ली, केरल, पंजाब, यूपी, महाराष्ट्र और उड़ीसा के लिए सैंपल में एफ्लाटॉक्सिन मिला है. मध्य प्रदेश , महाराष्ट्र यूपी, आंध्रप्रदेश और गुजरात के सैंपलों में एंटीबायोटिक अधिक मिले हैं. कई प्रमुख ब्रांड के पैकेज्ड दूध (प्रोसेस्ड मिल्क) और कच्चे दूध के नमूने निर्धारित गुणवत्ता और तय मानकों पर खरे ने नहीं उतरे हैं. खाद्य नियामक भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण के अध्ययन में यह खुलासा हुआ है. इसके मुताबिक, गुणवत्ता मानकों पर प्रोसेस्ड दूध के 2,607 नमूनों में से 37.7 फीसदी फेल हो गए. वहीं, कच्चे दूध के 3,825 नमूनों में से 47 फीसदी मानकों के मुताबिक नहीं थे. सुरक्षा मानकों की बात करें तो प्रोसेस्ड दूध के 10.4 फीसदी नमूने फेल रहे, जो कच्चे दूध (4.8 फीसदी) की तुलना में काफी अधिक है. हालांकि कुल नमूनों में केवल 12 में ही मिलावट पाई गई, जिनमें से ज्यादातर तेलंगाना के थे.