राफेल फाइटर प्लेन की खरीदी पर लगी मुहर , भारतीय वायुसेना की बढ़ेगी ताकत !

 02 Jan 2017  1835
ब्यूरो रिपोर्ट / in24 न्यूज़
भारत ने बुधवार को एक बड़े फैसले में फ्रांस से राफेल लड़ाकू विमानों की खरीद को मंजूरी दे दी। फ्रांस के रक्षा मंत्री जीन वेस ली ड्रायन की उपस्थिति में शुक्रवार को दोनो देशों के बीच इस सौदे पर हस्ताक्षर हो सकता है। भारत को लगभग 59 हजार करोड़ रुपये में तक़रीबन 36 राफेल मिलने की बात सामने आ रही है।  दोनों देशों के विशेषज्ञों ने उक्त सौदे के सभी पहलुओं को आखिरी रूप दे दिया है। विमानों की सप्लाई कॉन्ट्रैक्ट साइन होने के बाद से 36 महीनों के अंदर शुरू होगी और 66 महीनों में ही सारे विमान भारत को मिल जाएंगे। इस तरह भारतीय वायुसेना की ताकत कई गुना ज्यादा बढ़ जाएगी। न्यूज एजेंसी के मुताबिक, राफेल डील को इंडियन एयरफोर्स का अब तक का सबसे बड़ा सौदा माना जा रहा है। वहीं कैबिनेट की डिफेंस मामलों की कमेटी ने इसे मंजूरी दे दी है। गुरुवार शाम तक फ्रांस के डिफेंस मिनिस्टर नई दिल्ली पहुंचेंगे। आपको बता दें कि राफेल को फ़्रांस की डिसॉल्ट एविएशन बनाती है इसलिए उनके साथ डिसॉल्ट एविएशन के सीईओ भी भारत आ रहे हैं। शुक्रवार को इस डील की आधिकारिक घोषणा की जा सकती है। इस डील पर साल 2007 से ही बातचीत शुरू हो गयी थी। भारत ने राफेल को अमेरिकी कंपनी लॉकहीड और रूसी मिग विमानों के मुकाबले तरजीह दी है।
दरअसल, एयरफोर्स के पास अभी 44 फाइटर स्क्वाड्रन हैं, लेकिन पुराने प्लेन फेज आउट होने से 34 स्क्वाड्रन ही बचे हैं। वैसे भी भारतीय वायुसेना को फाइटर्स प्लेन की सख्त जरूरत है। आखिरी बार वायुसेना को साल 1996 में रूस से सुखोई 30 एमकेआई मिले थे। पुराने हो चुके मिग-21 और मिग-27 विमान बेड़े से हटाए जा रहे हैं। राफेल का फ्रेंच में मतलब होता है तूफान। राफेल दो इंजन वाला मल्टीरोल फाइटर एयरक्राफ्ट है। इसकी स्पीड 2250-2500 किमी प्रति घंटे तक बतायी जा रही है । इसकी फ्यूल कैपेसिटी 4700 लीटरके आसपास है। यह एयरक्राफ्ट कैरियर से भी उड़ान भर सकता है। ब्रह्मोस जैसी 6 एटमी हथियार वाली मिसाइल ढोने की इसकी काबिलियत बतायी जा रही है। इसमें 3 लेजर गाइडेड बम हैं जो 6 मिसाइलों वाली है जिससे हवा से जमीन पर मार करने की भारी ताकत है। हवा में भी राफेल विमान में फ्यूल भरने की कैपेसिटी है जो लगातार 10 घंटे तक उड़ सकता है।
फ्रांस सरकार ने 4 यूरोपीय देशों के साथ मिलकर इसे बनाना शुरू किया था। बाद में जब बाकी तीन देश अलग हो गए तो फ्रांस ने अकेले दम पर ही प्रोजेक्ट को पूरा किया। राफेल को लीबिया, माली और इराक में इस्तेमाल किया जा चुका है। अफगानिस्तान में अल कायदा के खिलाफ नाटो के अभियान में इसका अहम रोल था। भारत ने हाल ही में देश में ही बने 2 तेजस फाइटर को एयरफोर्स में शामिल किया है। हालांकि इसका पूरा एडवांस्ड वर्जन 2018 तक आएगा।
तेजस को शामिल कर भारत ने एक तरह से फाइटर प्लेन की सेकंड लाइन तैयार की है। वहीं अमेरिकी F/A-18 और F-16 फाइटर और स्वीडिश ग्रिपन-ई को भी भारत में ही बनाने के लिए बातचीत जारी है। इन सभी 4th जेनरेशन के फाइटर प्लेन डेवलप करने के अलावा भारत, रूस से मल्टी-रोल FGFA सुखोई टी-50 या PAK-FA के लिए बात करने वाला है। रूस के साथ 5th जेनरेशन फाइटर के लिए रिसर्च एंड डेवलमेंट (R&D) डिजाइन को इस साल अंतिम रूप दे सकता है। वैसे तो राफेल की यह डील साल 2013 में यूपीए सरकार के कार्यकाल में होने की बात कही जा रही थी लेकिन उस दौरान भारी कीमत के चलते इसे टाल दिया गया था। कुलमिलाकर फ्रांस से राफेल फाइटर प्लेन की डील पर गुरूवार को मुहर लग गयी इस दौरान फ्रांस के रक्षा मंत्री ज्यां यीव ली और भारत के रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर मौजूद थे।