शहीद दिवस 2019 के मौके पर नेताओं ने किया ट्वीट

 23 Mar 2019  1090

संवाददाता/in24 न्यूज़। 

आज पूरा देश आजादी की लड़ाई में अपने प्राणों की आहुति देने वाले शहीद भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु याद कर रहा है। इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत अन्य नेताओं ने भी ट्वीट किया। देश के लिए प्राण न्योछावर करने वाले तीनों शहीदों  को याद करते हुए मोदी ने कहा कि देश के युवाओं को न्यू इंडिया बनाने में सहयोग देना चाहिए जिससे उनका सपना पूरा हो सके। पीएम मोदी के अलावा शिवराज सिंह चौहान, चंद्रबाबू नायडू, वसुंधरा राजे, अमित शाह आदि ने भी ट्वीट किए। बता दें कि 23 मार्च को ही इन तीनों को फांसी दी गई थी। इसपर पीएम मोदी ने लिखा, 'आजादी के अमर सेनानी वीर भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को शहीद दिवस पर शत-शत नमन। भारत माता के इन पराक्रमी सपूतों के त्याग, संघर्ष और आदर्श की कहानी इस देश को हमेशा प्रेरित करती रहेगी। जय हिंद!' ट्वीट के साथ पीएम ने एक विडियो भी पोस्ट किया है। विडियो में मोदी कहते हैं कि ऐसे महापुरुषों ने बलिदान दिया तब जाकर देश आजाद हुआ। मोदी कहते हैं कि जैसा भारत वे महापुरुष चाहते थे वैसा बनाने के लिए जितना करा जाए उतना कम है। आगे युवाओं को संबोधित करते हुए मोदी कहते हैं, 'जैसे युवाओं ने स्वतंत्रता दिलाने में भूमिका निभाई थी वैसी ही भूमिका अब के युवाओं को न्यू इंडिया बनाने में निभानी चाहिए।' 
आजादी के अमर सेनानी वीर भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को शहीद दिवस पर शत-शत नमन। भारत माता के इन पराक्रमी सपूतों के त्याग, संघर्ष और आदर्श की कहानी इस देश को हमेशा प्रेरित करती रहेगी। जय हिंद! वहीं आंध्र प्रदेश के सीएम एन चंद्रबाबू नायडू ने लिखा, 'शहीद दिवस पर मैं भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को याद करता हूं। आशा है कि हम लोग वैसा भारत बनाने में कामयाब हों जिसके लिए इन लोगों ने बलिदान दिया।'  राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने लिखा, 'देश की स्वतंत्रता व स्वाभिमान की रक्षा के लिए अपना सबकुछ न्योछावर करने वाले आजादी के महानायकों शहीद भगत सिंह, राजगुरु व सुखदेव जी को शहीद दिवस पर कोटि-कोटि नमन। आपका अमर बलिदान अनंतकाल तक देशवासियों के लिए प्रेरणादायी रहेगा।' शहीद होते वक्त भगत सिंह और सुखदेव सिर्फ 23 साल के थे और राजगुरु 22 के।  23 मार्च 1931 को भगत सिंह, सुखदेव थापर और शिवराम राजगुरु को लाहौर जेल में फांसी दी गई थी। बताया जाता है कि उन्हें 24 मार्च की सुबह फांसी देने की सजा सुनाई दी गई थी लेकिन पूरे देश में जनाक्रोश को देखते हुए एक दिन पहले ही शाम को चुपचाप फांसी दे दी गई थी। भारत में स्वतंत्रता संग्राम में लाला लाजपत राय की भी महत्वपूर्ण भूमिका थी। वह साइमन कमिशन के विरोध में शामिल थे, जिसमें हुए लाठीचार्ज में वह गंभीर रूप से घायल हो गए। इसके बाद वह पूरी तरह ठीक नहीं हो पाए और 17 नवंबर 1928 को उनकी मौत हो गई। भगत सिंह ने सुखदेव,राजगुरु और चंद्रशेखऱ आजाद के साथ मिलकर लाला लाजपत राय की मौत का बदला लेने की कसम खा ली थी।  उनकी मौत के ठीक 1 महीने बाद लाहौर में 17 दिसंबर 1928 को राजगुरु और भगत सिंह ने एएसपी जॉन पी सांडर्स को गोली मार दी। हालांकि उनका निशाना लाठीचार्ज कराने वाला जेम्स ए स्कॉट था लेकिन पहचानने में चूक होने पर सांडर्स की हत्या कर दी। भगत सिंह और राजगुरु का पीछा करने वाले एक भारतीय कॉन्सेटबल को आजाद ने गोली मार दी। भगत सिंह और उनके साथ कई महीनों तक फरार रहे। इसके बाद 1929 में बटुकेश्वर दत्त और भगत सिंह ने दिल्ली असेंबली में बम फेंका। यह बम किसी की हत्या के लिए नहीं बल्कि अंग्रेजी हुकूमत को डराने के लिए था। अंग्रेजी सरकार दो ऐसे बिल ला रही थी जो भारतीयों के हित में नहीं थे, इन्हीं को रोकने के लिए यह कदम उठाया गया। बटुकेश्वर और भगत सिंह वहां से भाग सकते थे लेकिन दोनों 'इंकलाब जिंदाबाद' के नारे लगाते हुए वहीं खड़े रहे और गिरफ्तारी हो गई।इस घटना के बाद और भी क्रांतिकारियों की गिरफ्तारी शुरू हुई। राजगुरु को पुणे से गिरफ्तार किया गया। लाहौर में बम फैक्ट्री पकड़े जाने के बाद सुखदेव की गिरफ्तारी हो गई। सब अलग-अलग आरोपों में गिरफ्तार किए गए लेकिन पुलिस ने सांडर्स की मौत से कड़ियां जोड़कर तीनों को फांसी की सजा सुना दी।