कॉल गर्ल को कॉल गर्ल कहना ख़ुदकुशी के लिए उकसाना नहीं : सुप्रीम कोर्ट

 20 Oct 2019  931

संवाददाता/in24 न्यूज़.
एक लड़की अगर कॉल गर्ल का काम करती है तो उसे कॉल गर्ल कहना अपराध की श्रेणी में नहीं आएगा. गौरतलब है कि एक लड़के के माता-पिता ने उसकी गर्लफ्रेंड को कॉल गर्ल कह दिया तो लड़की ने आत्महत्या कर ली. लड़के और उसके माता-पिता पर लड़की को आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप में केस दर्ज हो गया. 15 साल बाद जब सुप्रीम कोर्ट से फैसला आया तो परिवार को राहत मिली. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 'कॉल गर्ल' कहने मात्र से आरोपियों को आत्महत्या का जिम्मेदार ठहराकर दंडित नहीं किया जा सकता है. जस्टिस इंदु मल्होत्रा और जस्टिस आर. सुभाष रेड्डी ने अपने फैसले में कहा कि आत्महत्या का कारण अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल था, यह नहीं माना जा सकता है. जजों ने कहा कि गुस्से में कहे गए एक शब्द को, जिसके परिणाम के बारे में कुछ सोचा-समझा नहीं गया हो, उकसावा नहीं माना जा सकता है. सर्वोच्च अदालत ने इसी तरह के एक पुराने फैसले में एक व्यक्ति को अपनी पत्नी को आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप से मुक्त कर दिया था. उसने झगड़े के वक्त पत्नी से  जाकर मर जाने को कहा था. सुप्रीम कोर्ट ने ताजा मामले में इसी पुराने फैसले का हवाला देते हुए कहा, इसी फैसले के मुताबिक हमारा विचार है कि इस तरह का आरोप आईपीसी की धारा 306/34 के तहत दोष मढ़कर कार्यवाही की प्रक्रिया आगे बढ़ाने के लिहाज से पर्याप्त नहीं है. इस आरोप से यह भी स्पष्ट है कि आरोपियों में से किसी ने भी पीड़िता को आत्महत्या के लिए न तो उकसाया, न बहलाया-फुसलाया और न उस पर दबाव बनाया. मामले में कोलकाता की लड़की आरोपी से अंग्रेजी भाषा का ट्यूइशन लेती थी. इस दौरान दोनों एक-दूसरे के करीब आ गए और विवाह करने का फैसला किया. लेकिन, लड़की जब लड़के के घर गई तो लड़के के गुस्साए माता-पिता ने उसे खूब खरी-खोटी सुनाई और कॉल गर्ल तक कह दिया. लड़की के पिता की ओर से दर्ज शिकायत के मुताबिक लड़की इसलिए दुखी थी क्योंकि उसके बॉयफ्रेंड ने अपने माता-पिता के व्यवहार और उनके शब्द पर ऐतराज नहीं जताया. इसी पीड़ा में लड़की ने जान दे दी. मामला वर्ष 2004 का है.