डॉ आंबेडकर को भावभीनी श्रद्धांजलि

 06 Dec 2019  1239

संवाददाता/in24 न्यूज़.
आज पूरा देश संविधान निर्माता डॉ बाबासाहेब आंबेडकर के महापरिनिर्वाण दिवस पर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि दे रहा है. उनके योगदान को पूरा देश नान कर रहा है. ऐसी महान विभूति को करबद्ध सलाम.  बाबासाहेब के नाम से दुनियाभर में लोकप्रिय डॉ. भीमराव आंबेडकर एक समाज सुधारक, एक दलित राजनेता होने के साथ ही विश्व स्तर के विधिवेत्ता व भारतीय संविधान के मुख्य शिल्पकार थे। डॉ. अम्बेडकर का 63वा महापरिनिर्वाण दिवस है। भीमराव अम्बेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 को मध्य प्रदेश के महू में एक गरीब अस्पृश्य परिवार में हुआ था। भीमराव  आंबेडकर रामजी मालोजी सकपाल और भीमाबाई की 14वीं संतान थे। उनका परिवार मराठी था जो महाराष्ट्र के रत्नागिरी जिले मे स्थित अम्बावडे नगर से सम्बंधित था। उनके बचपन का नाम रामजी सकपाल था। वे हिंदू महार जाति के थे जो अछूत कहे जाते थे। उनकी जाति के साथ सामाजिक और आर्थिक रूप से गहरा भेदभाव किया जाता था। एक अस्पृश्य परिवार में जन्म लेने के कारण उनको बचपन कष्टों में बिताना पड़ा। अम्बेडकर के पिता भारतीय सेना की महू छावनी में सूबेदार के पद पर रहे थे। उन्होंने अपने बच्चों को स्कूल में पढ़ने और कड़ी मेहनत करने के लिये हमेशा प्रोत्साहित किया। अपने भाइयों और बहनों में केवल अम्बेडकर ही स्कूल की परीक्षा में सफल हुए और इसके बाद बड़े स्कूल में जाने में सफल हुये। अपने एक ब्राह्मण शिक्षक महादेव आंबेडकर जो उनसे विशेष स्नेह रखते थे, के कहने पर अम्बेडकर ने अपने नाम से सकपाल हटाकर अम्बेडकर जोड़ लिया जो उनके गांव के नाम अंबावडे पर आधारित था। आंबेडकर 1926 में बंबई विधान परिषद के मनोनीत सदस्य बन गये। सन 1927 में डॉ.  आंबेडकर ने छुआछूत के खिलाफ एक व्यापक आंदोलन शुरू करने का फैसला किया। उन्होंने सार्वजनिक आन्दोलनों और जुलूसों के द्वारा पेयजल के सार्वजनिक संसाधन समाज के सभी लोगों के लिये खुलवाने के साथ ही अछूतों को भी हिंदू मंदिरों में प्रवेश करने का अधिकार दिलाने के लिये संघर्ष किया। इसके अलावा उनकी अपरिमित उपलब्धियां भी हैं जिनसे पूरा समाज सदैव अवलोकित होता रहेगा।