सोशल मीडिया पर न्यायपालिका से जुडी फेक ख़बरों पर सुप्रीम कोर्ट ने जताई चिंता

 12 Apr 2024  1832

ब्यूरो रिपोर्ट/in24न्यूज़    

देश की सर्वोच्च न्यायपालिका ने अदालत में प्रलंबित मामलों में सोशल मीडिया के दुरुपयोग को लेकर चिंता जताई है। कोर्ट ने कहा है कि जो मामले पेंडिंग हैं, उन पर सोशल मीडिया में मैसेज, कमेंट और आर्टिकल लगातार लिखे जा रहे हैं, जिन पर गंभीरता से विचार करने की जरूरत है। अफवाह के चलते ये झूठी खबरें कोर्ट की कार्रवाई में बाधा डालती हैं, जो बिल्कुल भी बर्दाश्त करने योग्य नहीं है। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अनिरुद्ध बोस और बेला एम त्रिवेदी की पीठ ने फेसबुक पर किए गए पोस्ट का गंभीरता से संज्ञान लेते हुए उसके खिलाफ अवमानना की कार्रवाई शुरू कर दी है। दरअसल उस फेसबुक पोस्ट में लिखा था कि सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया था। हालांकि सच तो ये था कि कोर्ट ने कार्रवाई पूरी होने के बाद फैसले को सुरक्षित रख लिया था, इसलिए अदालत में मामला लंबित रहा है। कोर्ट ने इस पोस्ट पर चिंता जाहिर करते हुए कहा कहा कि यह गंभीर चिंता का विषय है। आजकल सोशल मीडिया का दुरुपयोग बहुत ज्यादा हो रहा है। कोर्ट में लंबित मामलों के संबंध में संदेश, टिप्पणियां, लेख पोस्ट किए जा रहे हैं। पीठ ने आगे कहा कि हमारे कंधे अभी भी दोषों और आलोचना को सहने के लिए काफी चौड़े हैं, लेकिन कोर्ट में लंबित पड़े मामलों को सोशल मीडिया पर जो टिप्पणी और प्रतिक्रियाएं आ रही हैं, वो प्रतिक्रियाएं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार की आड़ में अदालत के अधिकारों को कमजोर करने की सोच से की गई होती हैं। ऐसी प्रतिक्रियाओं पर गंभीरता से विचार होना चाहिए। सुनवाई करते हुए कोर्ट ने यह संकेत दिया कि कोई भी लोगों को गुमराह करने के लिए तथ्यों को विकृत करके और कार्यवाही के सही तथ्यों का खुलासा न करके सोशल मीडिया पर टिप्पणी या संदेश पोस्ट करने के अधिकार का दावा नहीं कर सकता। इस मामले को और अधिक गंभीरता से लेने की आवश्यकता है, जब कार्यवाही में किसी भी पक्ष द्वारा कार्यवाही को नुकसान पहुंचाने या न्याय के प्रशासन के मार्ग में हस्तक्षेप करने का प्रयास किया जाता है।