जहरीली हुई दिल्ली की हवा, 400 के करीब पहुंचा एक्यूआई

 01 Nov 2024  325

भारत देश में लोगों द्वारा मनाया जाने वाला सबसे बड़ा त्यौहार दिवाली है। जिसका लोग पूरे साले बेसब्री से इंतजार करते हैं। यह त्योहार खुशियों का उत्सव और एक नई भावना लेकर आता है। पूरे देश में कल धूमधाम से दिवाली का त्योहार मनाया गया लेकिन आज हम चर्चा करेंगे दिवाली से वायु प्रदूषण में आए जबरदस्त उछाल पर, जिसने देश के कई हिस्सों को अपने चपेट में लिया है। हर साल दीवाली के दौरान पटाखों से उठने वाला धुआं वायु गुणवत्ता को बुरी तरह से प्रभावित करता है।


बात करें भारत की राजधानी दिल्ली की तो यहाँ पिछले कई वर्षों से पटाखों पर सख्त प्रतिबंध लगाया गया है, फिर भी प्रदूषण के स्तर में बढ़ोतरी जारी है। दिल्ली में पटाखों पर लगी रोक का उल्लंघन कर बड़े पैमाने पर की गई आतिशबाजी के कारण शहर में धुएं के बादल छा गए और गंभीर ध्वनि प्रदूषण हुआ। दिल्ली में पटाखों पर लगी रोक का उल्लंघन कर बड़े पैमाने पर की गई आतिशबाजी के कारण शहर में धुएं के बादल छा गए और गंभीर ध्वनि प्रदूषण हुआ। पटाखे जलाने की वजह से दिल्ली की वायु गुणवत्ता 'बहुत खराब' श्रेणी में पहुंच गई है। 


शुक्रवार को दिल्ली का एक्यूआई 360 के स्तर पर पहुंच गया। इसी बीच दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय का कहना है कि राजधानी की हवा पिछले कुछ दिनों से बहुत खराब श्रेणी में है। दिवाली पर जिन लोगों ने पटाखे नहीं जलाए उन्हें राय ने जिम्मेदार नागरिक बताया और बधाई दी। साथ ही कहा कि जिन लोगों ने पटाखे जलाए, उम्मीद है कि अगले साल हम उन्हें भी ऐसा न करने के लिए मना लेंगे।


राय ने कहा कि 'कई दिनों से दिल्ली का एक्यूआई खराब कैटेगरी में है। लेकिन आज दिवाली के अगले दिन जिस तरह सभी लोगों का अनुमान था कि प्रदूषण का स्तर काफी बढ़ जाएगा उसमें एक नियंत्रण दिख रहा है। इसके लिए दिल्ली के सभी लोगों, सभी विभागों का जो सामूहिक प्रयास रहा है उसे सफलता मानता हूं। उन्होंने जिम्मेदार नागरिक की तरह व्यवहार किया और पटाखों पर नियंत्रण करके प्रदूषण के स्तर का जो डर था कि आज बहुत ज्यादा बढ़ जाएगा। उसे कंट्रोल करने में सहयोग किया। उम्मीद है कि अगले साल तक जिन लोगों ने कुछ जगहों पर पटाखे जलाए हैं, उन लोगों को भी इस बात को समझा पाएंगे की खुशियां मनाने के साथ-साथ बच्चों, बूढ़ों की जिदंगियां बचाना भी जरूरी है। 


विशेषज्ञों के मुताबिक, पारंपरिक पटाखों के बजाय हरित विकल्प अपनाना एक सशक्त समाधान हो सकता है, जिससे लोग त्योहार भी मना सकें और पर्यावरण भी सुरक्षित रहे। अध्ययन में यह भी पाया गया है कि वायु गुणवत्ता 24 घंटे बाद सुधरने लगती है, लेकिन दीवाली के दौरान रासायनिक तत्वों के कारण लंबे समय तक स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है। विशेषज्ञ मानते हैं कि दीवाली पर बैन के बावजूद वायु गुणवत्ता में कोई सुधार न आना गंभीर चिंता का विषय है।