पीएचडी के मामले में दुनिया के टॉप तीन देशों में है भारत : पीएम मोदी

 03 Jan 2023  501

संवाददाता/in24 न्यूज़.
विकास के पथ पर अग्रसर भारत ने दुनिया को संदेश दिया है कि देश की छवि बहुत बदली है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने अमृत काल में भारत को आधुनिक विज्ञान की विश्व की सबसे आधुनिक प्रयोगशाला बनाने के संकल्प के साथ मंगलवार को भारतीय विज्ञान कांग्रेस (Indian Science Congress) का उद्घाटन किया। पीएम मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से महाराष्ट्र में राष्ट्रसंत तुकडोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय (RTMNU) के अमरावती रोड परिसर में आयोजित विज्ञान कांग्रेस का उद्घाटन किया। पीएम मोदी ने समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि भारत 25 वर्षों में जिस ऊंचाइयों पर पर होगा उसमें भारतीय वैज्ञानिकों की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। भारत का वैज्ञानिक समाज देश को उन ऊंचाइयों पर पहुंचाएगा जिसका देश हकदार रहा है, यह मेरा विश्वास है। भारत में डाटा और प्रौद्योगिकी बहुतायत में है। इन दोनों क्षेत्रों में भारत को बुलंदियों पर पहुंचाने की हमारे वैज्ञानिक क्षमता रखते हैं। चाहे ट्रेडिशनल नॉलेज हो या आधुनिक प्रौद्योगिकी यह दोनों ही वैज्ञानिक खोज में मददगार होते हैं। हमें अपने वैज्ञानिक प्रक्रियाओं को और मजबूत बनाने के लिए खोजी प्रवृत्ति को विकसित करना होगा। भारत जिस वैज्ञानिक दृष्टि से आज आगे बढ़ रहा है, उसके नतीजे हम देख रहे हैं। विज्ञान के क्षेत्र में भारत तेजी से विश्व में दुनिया के शीर्ष देशों में शामिल हो रहा है। वर्ष 2020 में हम ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स में 40 में स्थान पर पहुंच गए। भारत पीएचडी के मामले में दुनिया के शीर्ष तीन देशों में शामिल है। आज भारत स्टार्टअप इकोसिस्टम के मामले में दुनिया के शीर्ष देशों में है। हम साइंस के जरिए महिला सशक्तिकरण ही नहीं करना चाहते, बल्कि महिलाओं की भागीदारी के माध्यम से विज्ञान का भी सशक्तिकरण करने का लक्ष्य रखते हैं। हर क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी बढ़ रही है, यह इस बात का प्रमाण है कि समाज आगे बढ़ रहा है। पीएम मोदी ने कहा कि वैज्ञानिक ऐसा संस्थागत ढांचा विकसित करें जो युवा प्रतिभाओं को आकर्षित करें और उन्हें आगे बढ़ने का मौका दें। टैलेंट हंट जैसी प्रतिभाओं के जरिए प्रतिभाओं की पहचान की जा सकती है और उन्हें प्रोत्साहित किया जा सकता है। आज खेल में भारत नई ऊंचाइयों को छू रहा है, इसकी वजह है कि खेल के प्रतिभाओं को प्रोत्साहित करने के लिए संस्थागत ढांचे को मजबूत किया गया। गुरु शिष्य की भारतीय परंपरा विज्ञान के क्षेत्र में भी मददगार हो सकती है जिसमें शिष्य की सफलता में गुरु अपनी सफलता देखता है। हम ऐसे विषयों पर काम करें जो पूरी मानवता के लिए जरूरी है। भारत का वैज्ञानिक समुदाय यदि ऊर्जा की जरूरतों को पूरा करने पर अनुसंधान करे तो इससे भारत का बड़ा भला होगा। उन्होंने कहा कि हमारे वैज्ञानिकों और हमारे उद्योग जगत को साथ मिलकर काम करना होगा। आज हम ऐसे दौर में जी रहे हैं जब मानव के सामने नई-नई बीमारियों का संकट मंडरा रहा है।हमें नए वैक्सीन तैयार करने के लिए रिसर्च एंड डेवलपमेंट को महत्व देना होगा। क्वांटम के क्षेत्र में हमारे नए वैज्ञानिक रुचि लें,आगे बढ़े और देश को ऊपर ले जाए। हमें ऐसे भविष्य के विचारों पर भी काम करना होगा जिन पर अभी कहीं काम नहीं हो रहा है। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय की एक विज्ञप्ति के अनुसार समाज के प्रति भारतीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी के महत्त्वपूर्ण योगदानों को बड़े पैमाने पर प्रदर्शित करने वाला “भारत का गौरव” मेगा-एक्सपो मुख्य आकर्षण होगा। उद्घाटन सत्र में महाराष्ट्र के राज्यपाल और महाराष्ट्र शासकीय विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति भगत सिंह कोश्यारी, केंद्रीय मंत्री और आरटीएमएनयू शताब्दी समारोह की सलाहकार समिति के अध्यक्ष नितिन गडकरी, केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी एवं पृथ्वी विज्ञान राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. जितेन्द्र सिंह, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे तथा उप-मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस शामिल रहे।