महिला की अपनी पहचान होती है वह किसी की जागीर नहीं : सुप्रीम कोर्ट

 15 Jan 2023  621

संवाददाता/in24 न्यूज़.  
नारी के सम्मान में देश की सर्वोच्च अदालत का बड़ा फैसला आया है। महिला की अपनी एक पहचान होती है और वह संपत्ति नहीं है। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने यह कहते हुए सिक्किम में लागू आयकर अधिनियम को भेदभावपूर्ण बताया है। कोर्ट ने सिक्किम में अप्रैल 2008 के बाद राज्य के बाहर के व्यक्तियों से शादी करने वाली महिलाओं को इनकम टैक्स छूट के लिए अपात्र बताने वाले नियम को असंवैधानिक बताया। 26 अप्रैल, 1975 को सिक्किम में रहने वाले भारतीय मूल के व्यक्तियों के लिए भी इस छूट का विस्तार किया गया था। जब राज्य का 26 अप्रैल, 1975 को भारत में विलय हुआ तो न्यायालय ने राज्य में 95 फीसदी आबादी को कर छूट में नियम लागू किए थे। पहले की छूट सिक्किम सब्जेक्ट सर्टिफिकेट रखने वाले व्यक्तियों और उनके वंशजों पर लागू थी और सिक्किम नागरिकता संशोधन आदेश, 1989 के तहत उन्हें भारतीय नागरिक बनाया गया था। इन दो श्रेणियों में भूटिया लेप्चा, शेरपा और नेपाली शामिल थे, जो कुल मिलाकर लगभग 94.6 फीसदी थे। भारत में विलय की तारीख से सिक्किम में रहने वाले पुराने निवासियों ने कुल आबादी का 1 फीसदी यानी लगभग 500 परिवारों का गठन किया, जिन्होंने इस अधिनियम के खिलाफ शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था। इनकम टैक्स एक्ट, 1961 की धारा 10 (26एएए) को चुनौती देने वाली एसोसिएशन ऑफ ओल्ड सेटलर्स ऑफ सिक्किम की तरफ से दायर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस बीवी नागरत्ना की बेंच ने अलग-अलग फैसलों के जरिए इस प्रावधान को मनमाना, भेदभावपूर्ण और संविधान का उल्लंघन करने वाला पाया, क्योंकि इसने महिलाओं को लिंग और विवाह के आधार पर बाहर कर दिया और साथ ही राज्य में पहले से रह रहे और भारतीय मूल के लोगों को समान लाभों से वंचित कर दिया। न्यायमूर्ति शाह ने अपने फैसला सुनाया कि एक महिला संपत्ति नहीं है और उसकी खुद की एक पहचान है, और विवाहित होने के तथ्य को उस पहचान को दूर नहीं करना चाहिए, भेदभाव लिंग पर आधारित है, जो भारत के संविधान के अनुच्छेद 14, 15 और 21 का पूरी तरह से उल्लंघन है। बता दें कि महिला से भेदभाव के तहत सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला बेहद महत्वपूर्ण है।