लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर सेना की टुकड़ियां सतर्क

 05 Mar 2023  454

संवाददाता/in24 न्यूज़.
देश की राजधानी दिल्ली में जी-20 सम्मेलन के मद्देनज़र लद्दाख (Ladakh) में गलवान घाटी (Galvan Valley) में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर तैनात भारतीय सेना की टुकड़ियों ने अपनी गतिविधियां बढ़ा दी हैं। बता दें कि दिल्ली में जी-20 सम्मेलन के दौरान चीनी विदेश मंत्री और भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर की मुलाकात हुई। जयशंकर पहले भी चीन के साथ संबंधों को असामान्य बता चुके हैं। इस बीच, भारतीय सेना ने लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर अपनी गतिविधियां बढ़ा दी हैं। सेना के जवानों ने एलएसी के आस-पास के इलाकों में घोड़ों और खच्चरों से पेट्रोलिंग की है। इसके अलावा पैंगोंग झील पर हाफ मैराथन जैसी गतिविधियां कीं। इससे पहले इंडियन आर्मी की ओर से तस्वीरें जारी की गई थीं, जिसमें भारत की सेना पूर्वी लद्दाख में क्रिकेट खेलती दिख रही है। पूर्वी लद्दाख चीन और भारत के बीच मई, 2020 से टकराव का केंद्र रहा है। इस टकराव की वजह से दोनों देशों में मिलिट्री टेंशन भी पैदा हुआ है। हालांकि भारत की सेना ने उस एरिया का खुलासा नहीं किया है जहां जवान क्रिकेट खेल रहे हैं, लेकिन मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक यह वही जगह है, जहां भारत-चीन के बीच जून, 2020 में झड़प हुई थी। हालांकि गलवान घाटी में संघर्ष के बाद से दोनों देशों की सेनाएं अलर्ट पर हैं। इंडियन आर्मी के जवान जहां क्रिकेट खेल रहे हैं वह जगह पेट्रोल प्वाइंट 14 से लगभग चार किलोमीटर दूर है। बता दें कि पेट्रोल प्वाइंट 14 वही जगह हैं, जहां जून, 2020 में चीनी सेना ने भारत के जवानों पर विश्वासघात कर हमला किया था। इस हमले में देश के 20 जवान शहीद हो गए थे। वहीं चीन ने काफी समय बाद माना कि उसके भी पांच जवान मारे गए। लेह से ऑपरेट करने वाली इंडियन आर्मी की 14 कॉप्र्स ने ट्वीट किया कि पटियाला ब्रिगेड, त्रिशूल डिवीजन ने शून्य से नीचे तापमान में अत्यधिक ऊंचाई वाले क्षेत्र में पूरे उत्साह और जोश के साथ क्रिकेट मैच का आयोजन किया। हम असंभव को संभव बनाते हैं। बता दें कि जिस स्थान पर भारतीय सेना क्रिकेट खेल रही है वह स्थान भारत और चीन की ओर से आमने-सामने के टकराव से बचने के लिए बनाए गए बफर जोन से अच्छी खासी दूरी पर है। दोनों देशों की सेनाओं से टकराव से बचने के लिए अपने अपने पोजीशन से 1.5 किलोमीटर पीछे हटने का फैसला किया और ये स्थान बफर जोन में तब्दील हो गया है। इंडियन आर्मी ने इस क्षेत्र में पहला कैंप 700 मीटर पीछे हटकर बनाया है। इसके बाद भारत की सेना का कैंप नंबर-2 और कैंप नंबर-3 है। ये कैंप लगभग समान दूरी पर मौजूद हैं, ताकि चीनी गतिविधियों पर निगाह रखी जा सके। बता दें कि चीन की नीयत पर पहले से ही सवाल उठते रहे हैं।