26 सप्ताह के गर्भ को समाप्त करने की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट की अहम टिप्पणी

 13 Oct 2023  366

संवाददाता/in24 न्यूज़.
सुप्रीम कोर्ट ने गर्भ में पल रहे बच्चे के अधिकार पर अहम टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा कि जब गर्भपात के लिए कानून में तय मियाद पूरी हो चुकी हो और बच्चा गर्भ में स्वस्थ हो, तो सिर्फ मां के चाहने पर उसकी धड़कन बंद कर देना सही नहीं है। कोर्ट ने 26 हफ्ते की गर्भवती विवाहित महिला को सलाह दी कि वह कुछ हफ्ते और प्रतीक्षा कर बच्चे को जन्म दे। चूंकि, सरकार बच्चे का ध्यान रखने को तैयार है, इसलिए जन्म के बाद उसे सरकार को सौंप दिया जाए। मामले की सुनवाई गुरुवार को अधूरी रही। कोर्ट ने इसे शुक्रवार को दोबारा सुनवाई के लिए लगाते हुए माता-पिता, उनके वकील और केंद्र सरकार की वकील को आपस में बात कर समाधान निकालने को कहा है। अपने 26 सप्ताह के गर्भ को समाप्त करने की मांग कर रही एक महिला की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने साफतौर पर कहा कि वह किसी बच्चे को नहीं मार सकता। सुप्रीम कोर्ट ने भ्रूण का तत्काल गर्भपात कराने की मांग करने वाली महिला को अपने फैसले पर पुनर्विचार करने के लिए 24 घंटे का समय दिया है। साथ ही यह स्पष्ट कर दिया कि अदालत बच्चे को मारने के पक्ष में नहीं है। कोर्ट ने कहा कि हमें अजन्मे शिशु के अधिकारों और माता के अधिकारों के बीच संतुलन बनाने की जरूरत है। यह जीवित भ्रूण है। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट का उद्देश्य स्पष्ट है कि अजन्मे बच्चे को मारा नहीं जा सकता।